रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को हरमू नदी के उदगम स्थल के अतिक्रमण मामले में सुनवाई की. जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए आरआरडीए और रांची नगर निगम से पूछा कि नदी के आसपास बने घरों के लिए आपके पास क्या एक्शन प्लान है? विस्तृत जानकारी के साथ आरआरडीए की ओर से की गयी सर्वे रिपोर्ट को शपथ पत्र के माध्यम से दायर करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 17 जनवरी 2024 को होगी.
इससे पूर्व आरआरडीए की ओर से अधिवक्ता प्रशांत कुमार सिंह ने हरमू नदी के उदगम स्थल के आसपास की सर्वे रिपोर्ट रखी, जिसे खंडपीठ ने शपथ पत्र के माध्यम से देने का निर्देश दिया. रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने पैरवी की. सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता अधिवक्ता लाल ज्ञान रंजन नाथ शाहदेव भी उपस्थित थे. पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने बजरा मौजा में नदी के उदगम स्थल के पास बने भवनों का सर्वे कर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश आरआरडीए को दिया था. साथ ही उस क्षेत्र का पहले और वर्तमान का गूगल मैप का एरियल व्यू भी पेश करने को कहा था. ज्ञात हो कि रांची नगर निगम व रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) में नक्शा पास करने के लिए होनेवाली अवैध वसूली को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज मामले के तहत इसकी सुनवाई की गयी.
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झारखंड हाइकोर्ट द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नरों ने हरमू नदी के उदगम स्थल डीएवी हेहल के समीप क्षेत्र का स्थल निरीक्षण किया था. उस दौरान जिला प्रशासन व आरआरडीए के अधिकारी भी उपस्थित थे. वहां आसपास में कई मकान बने मिले. नदी में पत्थर डस्ट भर कर अस्थायी सड़क भी बना दी गयी है. उससे भारी वाहनों का आवागमन हो रहा है. अतिक्रमण के कारण नदी की चाैड़ाई जो पहले 50 फीट से भी अधिक थी, वह सिमट कर लगभग 15-20 फीट रह गयी है. वहीं, शिकायतकर्ता अधिवक्ता लाल ज्ञान रंजन नाथ शाहदेव ने बताया कि नदी तट का बड़े पैमाने पर अतिक्रमण किया गया है. नदी की जमीन गैरमजरुआ प्रकृति की है. उस पर भी निर्माण हुआ है.