झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने सिदो-कान्हू विवि दुमका में संविदा पर कार्यरत शिक्षकों को हटाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान अदालत ने प्रार्थी व प्रतिवादी विवि का पक्ष सुना. इसके बाद अदालत ने महाधिवक्ता राजीव रंजन को बुलाया. अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि संविदा या घंटी आधारित शिक्षकों की कब तक बहाली होती रहेगी?
नियमित बहाली क्यों नहीं हो रही है? ऐसा लगता है कि विवि अनुबंध पर चल रहे हैं. ऐसा होने से बैकडोर नियुक्ति को बढ़ावा मिलता है. नियमित नियुक्ति होने से राज्य के विश्वविद्यालयों में क्वालिटी ऑफ एजुकेशन भी बढ़ेगा. अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि सारे विश्वविद्यालयों में सिर्फ असिस्टेंट प्रोफेसर ही नहीं, बल्कि सभी रिक्त पदों पर नियमित बहाली की प्रक्रिया कब शुरू करेगी? यह भी पूछा कि राज्य सरकार विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन कब तक करेगी? मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी.
प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने अदालत को बताया कि प्रार्थीगण सिदो-कान्हू विवि दुमका में संविदा पर कार्य कर रहे थे. विवि की ओर से आगे भी संविदा पर नियुक्ति की गयी. जब वे लोग कार्यरत थे, तो उन्हें यह कहते हुए हटा दिया गया कि अब स्थायी नियुक्ति की जायेगी. बाद में संविदा पर नियुक्त शिक्षकों को नहीं हटाया गया.
विवि की ओर से अधिवक्ता डॉ अशोक कुमार सिंह ने बताया कि असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार को भेजा जाता है, लेकिन रोस्टर क्लियरेंस के नाम पर राज्य सरकार के स्तर पर मामला लंबित रहता है. चांसलर की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने पक्ष रखते हुए कहा कि असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में चांसलर की कोई भूमिका नहीं होती है.