झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- कैसे रूकेगी साइबर ठगी, दिया ये निर्देश, 20 सितंबर को होगी अगली सुनवाई

खंडपीठ ने आरबीआइ से कहा कि बेंगलुरू में 112 हेल्पलाइन नंबर है. इसे यहां भी शुरू किया जा सकता है. इस पर आरबीआइ की ओर से बताया गया कि यह हेल्पलाइन नंबर वहां की राज्य सरकार ने शुरू किया है

By Prabhat Khabar News Desk | August 10, 2023 7:29 AM

झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य के जामताड़ा, साहिबगंज, देवघर आदि जिलों में साइबर अपराध को रोकने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थी, राज्य सरकार व रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) का पक्ष सुना. खंडपीठ ने राज्य सरकार व आरबीआइ से पूछा कि साइबर ठगी कैसे रोकी जा सकती है.

अतिरिक्त सुझाव के साथ प्रस्ताव देने का निर्देश दिया. इसके बाद खंडपीठ अपना आदेश पारित करेगा. खंडपीठ ने आरबीआइ से कहा कि बेंगलुरू में 112 हेल्पलाइन नंबर है. इसे यहां भी शुरू किया जा सकता है. इस पर आरबीआइ की ओर से बताया गया कि यह हेल्पलाइन नंबर वहां की राज्य सरकार ने शुरू किया है. उसमें आरबीआइ की कोई भूमिका नहीं है. झारखंड में राज्य सरकार भी हेल्पलाइन नंबर शुरू कर सकती है. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 20 सितंबर की तिथि निर्धारित की.

इससे पूर्व आरबीआइ की ओर से अधिवक्ता पांडेय नीरज राय ने शपथ पत्र दायर कर खंडपीठ को बताया कि वह राज्य सरकार को साइबर ठगी रोकने को लेकर दिशा-निर्देश जारी नहीं कर सकती है. आरबीआइ का मोबाइल बैंकिंग ठगी से संबंधित नियम, रेगुलेशन व दिशा-निर्देश कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया. वहीं प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पक्ष रखा.

वीसी नियुक्ति पर सरकार व सर्च कमेटी से मांगा जवाब

झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने राज्य के चार विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति के मामले में दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई की. प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने सर्च कमेटी के को-ऑर्डिनेटर सह राज्यपाल के ओएसडी (जे) को नोटिस जारी किया. कहा कि वे चार सप्ताह के अंदर कोर्ट में शपथ पत्र दायर करें. इसके अलावा अदालत ने राज्य सरकार को भी जवाब दायर करने का निर्देश दिया है. अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 13 सितंबर की तिथि तय की है.

बुधवार को मामले की सुनवाई दो सत्रों में हुई. प्रथम सत्र में सुनवाई करते हुए अदालत ने कुलपतियों की नियुक्ति पर रोक लगा दी. हालांकि, दूसरे सत्र में सुनवाई के दौरान अदालत ने अपना आदेश वापस ले लिया. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता रंजन कुमार ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि प्रार्थी कुलपति पद की सारी अर्हता रखते हैं. सर्च कमेटी ने उक्त पद के लिए 10 वर्ष का प्रोफेसर व प्रशासनिक अनुभव मांगा था. जबकि, उनके पास 14 वर्ष का प्रोफेसर तथा प्रशासनिक अनुभव है.

इसके बावजूद सर्च कमेटी ने उन्हें नहीं बुलाया. अलग-अलग विश्वविद्यालयों के लिए अलग-अलग सर्च कमेटी होनी चाहिए थी, लेकिन झारखंड में कोल्हान विवि, विनोबा भावे विवि, नीलांबर-पितांबर विवि और सिद्दो-कान्हो मुर्मू विवि में कुलपति नियुक्ति के लिए एक ही सर्च कमेटी बनायी गयी है. अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बताया कि कुलपति नियुक्ति में उसका भी अनुपालन नहीं हो रहा है.

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