राज्य में बारिश कम हुई तो झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- पानी का संकट न हो, क्या है एक्शन प्लान बतायें

झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार व रांची नगर निगम को शपथ पत्र के माध्यम से अपना एक्शन प्लान बताने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 31 अक्तूबर को होगी.

By Prabhat Khabar News Desk | September 20, 2023 9:01 AM

झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में नदियों व जलस्रोतों के अतिक्रमण तथा साफ-सफाई को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि इस बार माॅनसून में अब तक वर्षा कम हुई है. रांची सहित राज्य में एक समान वर्षा नहीं हुई है. वैसी स्थिति में लोगों को पेयजल की समस्या उत्पन्न नहीं हो.

इसके लिए राज्य सरकार का क्या विजन है? क्या कोई एक्शन प्लान बनाया गया है या नहीं? खंडपीठ ने राज्य सरकार व रांची नगर निगम को शपथ पत्र के माध्यम से अपना एक्शन प्लान बताने का निर्देश दिया. साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 31 अक्तूबर की तिथि निर्धारित की.

इससे पूर्व रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने खंडपीठ को बताया कि जलस्रोतों के आसपास अतिक्रमण हटाने को लेकर जिला प्रशासन के साथ कई कदम उठाये गये हैं. बड़ा तालाब सहित अन्य जलस्रोतों में किसी तरह का कचरा नहीं जाये, इस उद्देश्य से लोगों को जागरूक किया गया है. एक टीम बना कर लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. कूड़ा-कचरा फेंकनेवालों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए जुर्माना भी वसूला जा रहा है. वहीं मामले के एमिकस क्यूरी इंद्रजीत सिन्हा ने खंडपीठ को बताया कि इस बार माॅनसून में रांची में 27 प्रतिशत कम वर्षा हुई है. दिसंबर के बाद से पेयजल की समस्या होने लगेगी.

कुआं निर्माण घोटाले में 13 अफसरों पर संदेह

राज्य में कुआं निर्माण घोटाले की एसीबी जांच अंतिम चरण में है. जांच में 13 भूमि संरक्षण पदाधिकारी, सहायक भूमि संरक्षण पदाधिकारी और अन्य कर्मियों की भूमिका संदेह के घेरे में है. आरोपियों में अधिकतर लोगों को नोटिस भेज कर एसीबी के अधिकारी उनका बयान भी दर्ज कर चुके हैं. जल्द ही अंतिम जांच पूरी कर एसीबी के अधिकारी आगे की कार्रवाई कर सकते हैं.

जो अफसर संदेह के घेरे में हैं, उनमें जमशेदपुर के तत्कालीन भूमि संरक्षण पदाधिकारी ब्रह्मदेव साह, मुक्खू राम, घाटशिला के तत्कालीन सहायक भूमि संरक्षण पदाधिकारी सच्चिदानंद सिंह, रंजीत दास, भोला झा, घाटशिला के तत्कालीन सर्वेक्षण भूमि पदाधिकारी तुषारकांती भट्ट, चाकुलिया के तत्कालीन भूमि संरक्षण पदाधिकारी प्रमोद प्रसाद गुप्ता, बिरसा देवगम, जितेंद्र कुमार, लखन लाल, गोपाल प्रसाद मंडल, विष्णुदेव शर्मा और उपेंद्र प्रसाद शामिल हैं.

Next Article

Exit mobile version