रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने नक्शा विचलन से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए सरकार से नगर निगम में टाउन प्लानर की भूमिका की जानकारी देने का निर्देश दिया है. अदालत ने पूछा है कि निगम में टाउन प्लानर क्या काम करते हैं. जस्टिस एस चंद्रशेखर की अदालत ने जवाब दायर करने के लिए 12 अक्तूबर का समय दिया है.
कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद नगर विकास के टाउन प्लानर गजेंद्र राम से पूछा कि मास्टर प्लान-2037 में यदि किसी व्यक्ति को परेशानी या शिकायत आती है, तो वह निवारण के लिए कहां जायेगा. उसकी समस्या दूर करने की क्या व्यवस्था है? इस पर बताया गया कि यदि मास्टर प्लान-2037 के तहत किसी व्यक्ति को परेशानी आती है, तो वह नगर निगम में आवेदन देगा.
आवेदन की जांच कर निगम पता करेगा शिकायत सही है या नहीं. इसके बाद निगम इसे नगर विकास विभाग को भेजेगा, जिस पर नगर विकास विभाग न्यायोचित कार्रवाई करेगा. यदि मास्टर प्लान-2037 में कोई बदलाव लाना है, तो नगर निगम उस पर निर्णय लेकर नगर विकास विभाग को भेजेगा और नगर विकास विभाग इस पर कानून सम्मत निर्णय लेगा.
इस मामले में प्रार्थी लाल चिंतामणि शाहदेव को आरआरडीए ने 75,000 रुपया जमा कर बिल्डर के रूप में निबंधित करते हुए नक्शा जमा करने को कहा था, जो अधिवक्ता अधिनियम के विरुद्ध था.
हाइकोर्ट ने जेएसएमडीसी में नियमित हुए संविदाकर्मियों को लाभ देने का निर्देश दिया है. जितेंद्र प्रसाद यादव समेत 19 कर्मियों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस एसएन पाठक की अदालत ने यह निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि इन्हें नियमितीकरण का लाभ मिले. कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता जेएसएमडीसी में संविदा पर विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं. बोर्ड ने वर्ष 2010 में संविदा कर्मियों को नियमित करने का निर्णय लिया था. वर्ष 2012 में उन्हें नियमित भी कर दिया गया, लेकिन इस 2015 में इनकी नियुक्ति को गलत बताते हुए जांच की बात कही गयी.