झारखंड हाईकोर्ट ने नगर निगम से पूछा- भवन प्लान के कितने आवेदन आये व कितने पास किये गये
खंडपीठ ने रांची नगर निगम के माैखिक जवाब पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जब कर्मियों की कमी है, तो 6000 नक्शा के आवेदन में से 5000 नक्शा कैसे पास हो गया.
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने रांची नगर निगम व रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) में नक्शा पास करने के लिए 20-30 रुपये प्रति वर्गफीट अवैध राशि वसूली को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज मामले की सुनवाई की. जस्टिस एस चंद्रशेखर की अध्यक्षतावाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए रांची नगर निगम व आरआरडीए से पूछा कि अब तक कितने भवन प्लान (नक्शा) से संबंधित आवेदन आया. कितने स्वीकृत किये गये और कितने खारिज हुए. यहां तक कि कितने लंबित हैंं. खंडपीठ ने मासिक आधार पर विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया.
वहीं, खंडपीठ ने रांची नगर निगम के माैखिक जवाब पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जब कर्मियों की कमी है, तो 6000 नक्शा के आवेदन में से 5000 नक्शा कैसे पास हो गया. माैखिक नहीं, लिखित में शपथ पत्र के माध्यम से विस्तृत जवाब दायर किया जाये. खंडपीठ ने रांची नगर निगम को इंंफोर्समेंट टीम के बारे में भी पूरी जानकारी देने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने आठ नवंबर की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व एमीकस क्यूरी व प्रतिवादियों का पक्ष सुना. माैखिक रूप से बताया गया कि इस वर्ष दो अगस्त से लेकर अक्तूबर तक नक्शा के 6000 आवेदन आये. इसमें से 5000 आवेदन को स्वीकृति दी गयी है. रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव व आरआरडीए की ओर से अधिवक्ता प्रशांत कुमार सिंह ने पक्ष रखा.
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क्या है मामला :
लोगों को भवन का नक्शा पास कराना एक जटिल प्रक्रिया बन गयी है. नक्शा स्वीकृति के निर्धारित शुल्क के अलावा अवैध राशि की मांग की जाती है. अवैध राशि नहीं देने पर नक्शा स्वीकृत नहीं कर लंबित रखा जाता है. छोटे मकान के लिए 30-50 हजार तथा अपार्टमेंट का नक्शा पास करने के लिए 20-30 रुपये प्रति वर्ग फीट राशि वसूली जाती थी. प्रभात खबर में 29 नवंबर 2022 को अवैध वसूली को लेकर प्रकाशित खबर को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे रिट याचिका में तब्दील कर दिया था.