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झारखंड हाईकोर्ट ने पूछा : RIMS में हड़ताल के दौरान 28 मरीजों की मौत के जिम्मेदार लोगों पर क्या कार्रवाई हुई?

खंडपीठ ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि चिकित्सकों व नर्सों की हड़ताल के दाैरान 28 मरीजों की माैत हुई थी, उस मामले में हड़ताल के लिए जिम्मेवार जूनियर डॉक्टरों व नर्सों पर कोई कार्रवाई हुई या नहीं.

झारखंड हाईकोर्ट ने वर्ष 2018 में हुए रिम्स के जूनियर डॉक्टरों व नर्सों की हड़ताल के दाैरान मरीजों की माैत के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे गंभीरता से लिया. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि चिकित्सा सेवा आवश्यक सेवा है. चिकित्सा सेवा में लगे चिकित्सकों, नर्सों व पारा मेडिकलकर्मियों द्वारा हड़ताल करना गंभीर मामला है. वैसी स्थिति में चिकित्सकों व नर्सों की हड़ताल नहीं होनी चाहिए. मरीजों का इलाज किसी भी स्थिति में नहीं रूकना चाहिए. खंडपीठ ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि चिकित्सकों व नर्सों की हड़ताल के दाैरान 28 मरीजों की माैत हुई थी, उस मामले में हड़ताल के लिए जिम्मेवार जूनियर डॉक्टरों व नर्सों पर कोई कार्रवाई हुई या नहीं.

सरकार की ओर से मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने, उनके पुनर्वास करने पर कोई पहल हुई है अथवा नहीं. इस पर खंडपीठ ने राज्य सरकार को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. वहीं रिम्स प्रबंधन को कंप्रिहेंसिव रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने 30 जनवरी को हुई सुनवाई के दाैरान भी रिम्स को रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया था. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 16 मार्च की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता मुख्तार खान ने खंडपीठ को बताया कि एक जून 2018 को रिम्स में एक मरीज की माैत गलत इलाज की वजह से हो गयी थी. नाराज मरीज के परीजनों ने विरोध किया. इसके बाद परिजनों व जूनियर डॉक्टरों के बीच झड़प हो गयी.

इस घटना के विरोध में दो जून 2018 को जूनियर डॉक्टर व नर्स हड़ताल पर चले गये. हड़ताल के दाैरान रिम्स में इलाज की सारी व्यवस्था ध्वस्त हो गयी थी. इस दौरान लगभग 35 मरीजों का ऑपरेशन नहीं हो पाया. 600 से अधिक मरीज बिना इलाज के वापस लाैट गये, जबकि इसी दाैरान रिम्स में भर्ती 28 मरीजों की माैत इलाज के अभाव में हो गयी. मामले को लेकर कोतवाली थाना में जिम्मेवार जूनियर डॉक्टरों व नर्सों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गयी थी. इस मामले में सिर्फ नोटिस देने के अलावा किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई है. अधिवक्ता ने 28 मरीजों की माैत मामले की जांच कराने तथा जिम्मेवार चिकित्सकों व नर्सों पर कार्रवाई करने के लिए आदेश देने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी झारखंड छात्र संघ की ओर से शमीम अली ने जनहित याचिका दायर की है.

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