Jharkhand News: झारखंड हाइकोर्ट ने प्रथम व द्वितीय जेपीएससी संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा की सीबीआई जांच व राज्य सरकार की ओर से दायर अपील याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई का पक्ष सुनने के बाद जांच की स्टेटस रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लिया. खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि सीबीआइ द्वारा जिन आरोपियों (राज्य सरकार के अधिकारियों) के खिलाफ अभियोजन चलाने की स्वीकृति मांगी गयी थी, उस पर क्या हुआ? इसमें विलंब क्यों हो रहा है? किनके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति दी गयी है? खंडपीठ ने राज्य सरकार को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई पांच अक्तूबर, 2023 को होगी.
राज्य सरकार की अपील याचिका पर सुनवाई का अब कोई औचित्य नहीं
इससे पूर्व नियुक्त अधिकारियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने बताया कि नियुक्ति हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में वेतन रिलीज भी किया गया. राज्य सरकार ने उनकी सेवा को संपुष्ट भी किया है तथा लगातार प्रोन्नति भी दी है. वैसी स्थिति में राज्य सरकार की अपील याचिका पर सुनवाई का अब कोई औचित्य नहीं है. वरीय अधिवक्ता श्री कुमार ने खंडपीठ से अपील याचिका को खारिज करने का आग्रह किया. वहीं, झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरावाल व अधिवक्ता राकेश रंजन ने पैरवी की.
जनहित याचिका दायर
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी बुद्धदेव उरांव व पवन कुमार चौधरी ने जनहित याचिका दायर कर जेपीएससी परीक्षाओं में हुई गड़बड़ी की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की है. कोर्ट के आदेश के आलोक में सीबीआइ गड़बड़ियों की जांच कर रही है. वहीं, राज्य सरकार की ओर से अपील याचिका दायर कर 19 अधिकारियों के मामले में एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गयी है. सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हो रही है.
क्या है मामला
झारखंड हाइकोर्ट ने 12 जून, 2012 को जेपीएससी द्वारा ली गयी 12 परीक्षाओं में हुई गड़बड़ी की जांच करने का आदेश सीबीआई को दिया था. कोर्ट ने जेपीएससी की द्वितीय परीक्षा से नियुक्त हुए अधिकारियों को काम करने से रोकते हुए उनके वेतन भुगतान पर रोक लगा दी थी. हाइकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी, जिसमें अधिकारियों के काम करने व वेतन भुगतान के मामले में अंतरिम राहत मिल गयी थी. बाद में जनहित याचिकाकर्ता बुद्धदेव उरांव की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गयी. सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2017 में इस मामले में सीबीआइ जांच को फिर से बहाल कर दिया था.
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