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झारखंड हाईकोर्ट में राज्य सरकार की बड़ी जीत, शिक्षकों के समायोजन मामले में एकल पीठ का आदेश निरस्त

प्रार्थी राज्य सरकार बनाम बालमोहन प्रसाद व अन्य के मामले में अलग-अलग 126 अपील याचिका दायर की गयी थी. राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी थी.

रांची : झारखंड हाईकोर्ट ने प्रोजेक्ट बालिका हाइस्कूल के शिक्षकों व कर्मचारियों के सेवा समायोजन व बकाया वेतन के मामले में राज्य सरकार की ओर से दायर 126 अपील याचिकाओं पर फैसला सुनाया है. एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से दायर अपील याचिकाओं को स्वीकार कर लिया. साथ ही एकल पीठ के फैसले को निरस्त करते हुए मामले को निष्पादित कर दिया. 11 दिसंबर 2023 को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

इससे पूर्व अपीलकर्ता राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया था कि राज्य सरकार ने एक नीति बनायी थी. इसमें तय किया गया था कि प्रोजेक्ट बालिका हाइस्कूल के कौन-कौन से शिक्षक समायोजित होंगे. यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत गठित ‘आलम समिति’ की रिपोर्ट के आलोक में किया गया था. एकल पीठ ने राज्य सरकार के 25 अप्रैल 2018 के नीतिगत फैसले को बदलने का आदेश दिया था, जो सही नहीं है. उन्होंने एकल पीठ के आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया, जबकि प्रतिवादियों (रिट याचिकाकर्ता) की ओर से अधिवक्ता साैरव शेखर, संजय कुमार पांडेय सहित अन्य अधिवक्ताओं ने एकल पीठ के आदेश का बचाव किया था.

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उल्लेखनीय है कि प्रार्थी राज्य सरकार बनाम बालमोहन प्रसाद व अन्य के मामले में अलग-अलग 126 अपील याचिका दायर की गयी थी. राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी थी. एकल पीठ ने पांच सितंबर 2018 को रिट याचिका स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को प्रोजेक्ट बालिका हाइस्कूल के शिक्षकों की सेवा समायोजित करने तथा बकाया वेतन भुगतान करने का आदेश दिया था.

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