झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने पूर्वी सिंहभूम के पूर्व सिविल सर्जन डॉ एके लाल की बर्खास्तगी आदेश को चुनाैती देने वाली याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थी व राज्य सरकार का पक्ष सुना. मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने याचिका को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार के बर्खास्तगी आदेश को निरस्त कर दिया.
अदालत ने प्रार्थी डॉ एके लाल को पुनर्बहाल करने का आदेश दिया. पूर्व प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार व अधिवक्ता अपराजिता ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि वर्ष 2005 में लगे आरोप पर वर्ष 2016 में पहली बार शो-कॉज पूछा गया. शो-कॉज देने में 11 साल के विलंब का कोई ठोस कारण विभाग के पास नहीं है. छह साल विभागीय कार्यवाही चलायी गयी.
इस दाैरान प्रार्थी, जांच पदाधिकारी, संचालन पदाधिकारी द्वारा बिहार के समय के दस्तावेज मांगा जाता रहा, लेकिन विभाग द्वारा यह उपलब्ध नहीं किया गया. इस मामले में जो चार्ज फ्रेम किया गया, उसके लिए सक्षम अधिकारी से अनुमति भी नहीं ली गयी.
विधायक सरयू राय ने इस मामले को लगातार विधानसभा में उठाया था. बजट सत्र में डाॅ एके लाल की बर्खास्तगी की फाइल को दबाने का आरोप लगाते हुए स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया था. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने बर्खास्तगी की सहमति प्रदान की गयी.
पूर्वी सिंहभूम के पूर्व सिविल सर्जन डॉ एके लाल पर सरकारी पद में रहते हुए बगैर इस्तीफा दिए 2005 में बिहार के झंझारपुर सीट से चुनाव लड़ने के आरोप लगे थे. इस वक्त वे वैशाली जिले में पदस्थापित थे. बाद में वह झारखंड आ गये. विभागीय कमेटी की जांच में आरोप सही पाये जाने पर झारखंड सरकार द्वारा 31 मार्च 2022 को उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था. इसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.