झारखंड हाईकोर्ट में पकड़ी गयी प्रोबेशन अफसर की झूठी रिपोर्ट, जानें पूरा मामला

हजारीबाग के पलांडू गांव में प्रदीप चौधरी की हत्या मामले में बड़कागांव थाने में केस दर्ज है. इसमें जोगेश्वर सहित संगठन के अन्य सदस्यों पर हत्या का आरोप है. जोगेश्वर को जुबेनाइल घोषित किया जा चुका है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 11, 2024 7:40 AM
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रांची : प्रोबेशन अफसर कविंद्र ठाकुर ने आरोपी जोगेश्वर महतो के बारे में झूठी सामाजिक जांच रिपोर्ट (एसआइआर) दी. रिपोर्ट में जोगेश्वर के खिलाफ कोई और आपराधिक मामला दर्ज नहीं होने की बात कही गयी थी, जबकि उसके खिलाफ 20 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. झारखंड हाइकोर्ट में झूठी रिपोर्ट पकड़े जाने के बाद नये सिरे से सामाजिक जांच रिपोर्ट करायी गयी. सुनवाई के दिन सरकारी वकील सुधीर कुमार महतो न्यायालय में हाजिर ही नहीं हुए. करीब छह साल से अधिक समय से जेल में रहने के आधार पर अदालत ने जमानत दी. हालांकि, अन्य मामलों में जमानत नहीं मिलने की वजह से जोगेश्वर जेल में है.

हजारीबाग के पलांडू गांव में प्रदीप चौधरी की हत्या मामले में बड़कागांव थाने में केस (130/2017) दर्ज है. इसमें जोगेश्वर सहित संगठन के अन्य सदस्यों पर हत्या का आरोप है. जोगेश्वर को 15 मार्च 2022 को जुबेनाइल घोषित किया जा चुका है. हत्या के इस मामले में जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड के प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट ने जून 2022 में उसकी जमानत याचिका रद्द कर दी. इसके बाद उसने हजारीबाग के एडिशनल सेशन जज कम चिल्ड्रेंस कोर्ट में जमानत अर्जी दायर की. एडिशनल सेशन जज की अदालत के आदेश के आलोक में प्रोबेशन अफसर ने सामाजिक जांच रिपोर्ट सौंपी.

एडिशनल सेशन जज ने रद की जमानत याचिका, तो हाइकोर्ट पहुंचा :

शुरुआती सामाजिक जांच रिपोर्ट के माध्यम से अदालत को अपराधी के सिलसिले में गलत जानकारी दी गयी. रिपोर्ट में अपराधी की पढ़ने-लिखने में दिलचस्पी होने सहित अन्य ऐसी बातों का उल्लेख किया गया, जो पूरी तरह गलत थी. सुनवाई के बाद एडिशनल सेशन जज की अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया. इसके बाद हाइकोर्ट में जमानत याचिका दायर की गयी. 21 जुलाई को सुनवाई के दौरान सरकारी वकील सुधीर कुमार महतो हाजिर ही नहीं हुए.

सुनवाई के दौरान यह पाया गया कि इस अभियुक्त की ओर से 2019 में जमानत याचिका दायर की गयी थी. इसमें उसके खिलाफ 11 आपराधिक मामले दर्ज होने का उल्लेख था, लेकिन सामाजिक जांच रिपोर्ट में कोई दूसरा मामला दर्ज नहीं होने की बात लिखी होने की वजह से हाइकोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया और हजारीबाग के प्रधान न्यायाधीश को मामले की जानकारी देने का निर्देश दिया.

दूसरी बार हुई सामाजिक जांच में उजागर हुआ अपराधी का सच :

हाइकोर्ट के निर्देश के बाद हजारीबाग के प्रधान न्यायाधीश ने हजारीबाग के उपायुक्त को पत्र (1465/2023-दिनांक 2-8-2023) लिख सामाजिक जांच रिपोर्ट की जांच कर सही स्थिति की जानकारी मांगी. उपायुक्त के आदेश के आलोक में जेल के प्रोबेशन अफसर ने जांच की. दूसरी बार हुई सामाजिक जांच में यह पाया गया कि जोगेश्वर के खिलाफ 20 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं. 2023 में एटीएस ने रिमांड पर लेकर उससे पूछताछ की थी.

वह किसी भी किताब का नाम नहीं बता सका, जबकि पहली रिपोर्ट में यह लिखा गया था कि किताबें पढ़ने में उसकी दिलचस्पी है. जिला प्रशासन द्वारा दूसरी सामाजिक जांच रिपोर्ट न्यायालय को सौंपी गयी. इसके बाद हाइकोर्ट में जनवरी 2024 में जोगेश्वर की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. इस सुनवाई के दौरान सरकारी वकील अनुपस्थित रहे. सुनवाई के बाद न्यायालय ने अभियुक्त के लंबे समय से जेल में होने के आधार पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. साथ ही यह निर्देश भी दिया कि अभियुक्त के पिता उसे सुरक्षित जगह पर रखें और किसी बुरे व्यक्ति से उसे मिलने नहीं दें.

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