झारखंड हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस बोले- कार्यस्थल पर पर बदले महिलाओं के प्रति व्यवहार
झारखंड ज्यूडिशियल एकेडमी में महिलाओं के खिलाफ हिंसा व मानव तस्करी विषय पर आयोजित राज्यस्तरीय सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे
एक ओर हम मातृ शक्ति से प्रार्थना करते हैं, वहीं दूसरी ओर से महिलाओं के खिलाफ हिंसा देखते हैं. महिलाओं के खिलाफ हिंसा व मानव तस्करी ने समाज में राक्षस का रूप प्राप्त कर लिया है. कार्यस्थल पर भी महिलाओं के प्रति व्यवहार में बदलाव लाने की जरूरत है, क्योंकि महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक सक्षम हैं. वह मल्टीट टास्किंग में भी पुरुषों से बेहतर हैं. ये बातें झारखंड हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा ने कहीं.
वह रविवार को झारखंड ज्यूडिशियल एकेडमी में महिलाओं के खिलाफ हिंसा व मानव तस्करी विषय पर आयोजित राज्यस्तरीय सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. उन्होंने वर्चुअल मोड में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध और मानव तस्करी के मामले में पुलिस विभाग, न्यायपालिका व सुधार गृहों को संवेदनशील होने और सहानुभूति दिखाने की जरूरत है.
महिलाएं समाज की असली निर्माता :
स्वागत भाषण में जस्टिस एसएन प्रसाद ने कहा कि यह एक ज्वलंत और अहम मुद्दा है. महिलाएं सिर्फ मां, बेटियां और बहनें नहीं हैं, बल्कि समाज की असली निर्माता हैं. न्यायपालिका को महिलाओं की रक्षा करने की जरूरत है. धन्यवाद ज्ञापन करते हुए जस्टिस अनुभा रावत चौधरी ने कहा कि झारखंड में जादू-टोना और मानव तस्करी की प्रथाएं चल रही हैं. न्यापालिका के सामने भी ये मामले आ रहे हैं.
पहले तकनीकी सत्र में न्यायमूर्ति सोनिया जी गोकानी ने कहा कि न केवल सामाजिक मानदंड और मान्यताएं, बल्कि भ्रष्टाचार भी महिलाओं के खिलाफ लगातार हो रही हिंसा के प्रमुख कारण हैं. दूसरे सत्र में अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर कहा कि हिंसा सदैव शक्ति का प्रयोग है. यह विभेदक शक्ति है. उन्होंने आगे कहा कि हम घर में सम्मान सीखते हैं, लेकिन समानता नहीं. इसलिए ये स्वभाविक रूप से हमारे पास नहीं आते.
झारखंड में मानव तस्करी के मामलों में आयी है कमी
तीसरे सत्र का संचालन करते हुए सेवानिवृत्त आइपीएस पीएम नैयर ने मानव के आयाम : तस्करी; अच्छी प्रथाएं, चुनौतियां और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की भूमिका विषय पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि झारखंड में मानव तस्करी के मामलों में कमी आयी है. वर्ष 2021 में पुलिस व न्यायपालिका के सामने सिर्फ 92 मामले आये.
उन्होंने मानव तस्करी के कुछ मामले साझा करते हुए बताया कि इसमें न केवल महिलाएं, बल्कि पुरुष भी पीड़ित थे. अधिकारियों के सहयोग से कई मानव तस्करों से पीड़ित लोगों को मुक्त कराया गया है. सम्मेलन में झारखंड हाइकोर्ट के न्यायाधीशों के अलावा वरिष्ठ नौकरशाह, न्यायिक अधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, एनजीओ के सदस्य, प्रशिक्षु सहायक लोक अभियोजक और कानून के छात्र मौजूद थे.