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जस्टिस संजय कुमार की कड़ी टिप्पणी- झारखंड हाईकोर्ट में 3-4 वर्षों के दौरान हुआ PIL का दुरुपयोग, जानें मामला

खंडपीठ के सख्त रवैये को देखते हुए प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने जनहित याचिका वापस लेने का आग्रह किया, जिसे खंडपीठ ने मंजूर कर लिया.

झारखंड हाइकोर्ट ने नक्सलियों को लेवी वसूली के लिए राज्य में कार्यालय उपलब्ध कराने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कड़ी टिप्पणी की. इस दाैरान चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि तीन-चार वर्षों के दाैरान झारखंड हाइकोर्ट में जनहित याचिका (पीआइएल) का दुरुपयोग (मिसयूज) हुआ है. देश में शायद ही कोई ऐसा हाइकोर्ट होगा, जहां इतनी बड़ी संख्या में जनहित याचिकाएं दायर की जाती होगी.

खंडपीठ के सख्त रवैये को देखते हुए प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने जनहित याचिका वापस लेने का आग्रह किया, जिसे खंडपीठ ने मंजूर कर लिया. इससे पूर्व प्रार्थी अनुरंजन अशोक की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पक्ष रखा.

वहीं राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने पक्ष रखते हुए कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. यह झारखंड हाइकोर्ट की गरिमा के खिलाफ है. इसे खारिज किया जाना चाहिए. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अनुरंजन अशोक ने जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में कहा था कि झारखंड में नक्सलियों के लिए कार्यालय स्थापित करने का आदेश दिया जाये, ताकि वह लेवी वसूली का कार्य सुचारू रूप से कर सकें.

तारा शाहदेव मामले में फैसला शीघ्र

पूर्व राष्ट्रीय शूटर तारा शाहदेव की प्रताड़ना से जुड़े आठ साल पुराने मामले में शीघ्र फैसला आयेगा. इस मामले में गुरुवार से बचाव पक्ष की गवाही शुरू हुई. बचाव पक्ष को गवाही की सूची सौंपने का अंतिम दिन था. गुरुवार को बचाव पक्ष की ओर से सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत में एसडीओ ऑफिस से एक कर्मचारी की गवाही दर्ज की गयी. गवाह ने अपने साथ लाये दस्तावेज की पहचान की. गवाही पूरी होने के बाद अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख दो मई निर्धारित की है.

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