रांची : चाइल्ड ट्रैफिकिंग से मुक्त एक बच्चे की डीएनए रिपोर्ट एफएसएल ने हाइकोर्ट में पेश कर दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बरामद बच्चे का डीएनए उसके पिता से नहीं मिल (मैच) रहा है. इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि बरामद बच्चा पीड़ित पिता का बाॅयोलॉजिकल पुत्र नहीं है. अपने बेटे के लापता होने के बाद साहिबगंज कोर्ट में एम हेंब्रम ने प्राथमिकी करायी थी. इसमें उन्होंने कुलदेव साह और पप्पू साह पर चाइल्ड ट्रैफिकिंग का आरोप लगाया है. इस मामले में आरोपियों ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर अपने खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने का आग्रह किया है.
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व में अदालत ने साहिबगंज एसपी और सरकार को त्वरित कार्रवाई करते हुए जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. इसके बाद सरकार ने पुलिस की टीम गठित कर दिल्ली भेजा था. इस मामले में सरकार की ओर से बताया गया था कि आरोपी कुलदेव साह और पप्पू साह को गिरफ्तार कर लिया गया है. एक बच्चे को भी बरामद किया गया है, लेकिन उसके पिता और अन्य रिश्तेदारों द्वारा उसकी पहचान को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति है.
इसलिए सरकार ने पिता और लड़के का नमूना लेकर डीएनए टेस्ट के लिए फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला रांची भेज दिया है. इस पर अदालत ने सरकार को डीएनए जांच की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था. कुलदेव साह व पप्पू साह के खिलाफ एम हेंब्रम ने साहिबगंज कोर्ट में अपने बेटे की चाइल्ड ट्रैफिकिंग करने को लेकर शिकायत दर्ज करायी है. उनका बच्चा वर्ष 2018 से लापता है. वहीं बोरियो थाना में कुलदेव साह एवं पप्पू साह के खिलाफ एक और मामले में भी चाइल्ड ट्रैफिकिंग की प्राथमिकी दर्ज है.