हाईकोर्ट के फैसले से 5 लाख से अधिक अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में, युवाओं ने CM हेमंत सोरेन से की ये मांग
जेएसएससी स्नातक स्तर परीक्षा संचालन संशोधन नियमावली-2021 में हिंदी व अंग्रेजी भाषा को बाहर कर दिया गया था. इस पर काफी विवाद भी हुआ. इसे झारखंड हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी थी.
हाइकोर्ट के फैसले के बाद झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की ओर से आयोजित एक दर्जन से अधिक प्रतियोगिता परीक्षाओं में आवेदन करनेवाले पांच लाख से अधिक अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है. जूनियर इंजीनियर प्रतियोगिता परीक्षा के आयोजन के बाद फाइनल आंसर कुंजी भी आयोग द्वारा जारी कर दी गयी है. अब अभ्यर्थी रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं. वहीं सचिवालय आशुलिपिक सेवा संवर्ग प्रतियोगिता परीक्षा के तहत कौशल जांच की प्रक्रिया चल रही है. सभी नियुक्ति प्रक्रिया अलग-अलग स्तरों पर चल रही है.
संशोधन नियमावली में हिंदी व अंग्रेजी विषय को किया गया था बाहर
जेएसएससी स्नातक स्तर परीक्षा संचालन संशोधन नियमावली-2021 में हिंदी व अंग्रेजी भाषा को बाहर कर दिया गया था. इस पर काफी विवाद भी हुआ. इसे झारखंड हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी थी. नियमावली के नियम सात, जिसके द्वारा पेपर-दो, जो एक अनिवार्य विषय है, से हिंदी व अंग्रेजी को हटा दिया गया है. पेपर-दो चिह्नित क्षेत्रीय/जनजातीय भाषा.
इसमें 12 चिह्नित क्षेत्रीय/जनजातीय भाषा जैसे उर्दू, संथाली, बंगला, मुंडारी (मुंडा), हो, खड़िया, कुडुख (उरांव), कुरमाली, खोरठा, नागपुरी, पंचपरगनिया, उड़िया में से किसी एक भाषा की परीक्षा विकल्प के आधार पर अभ्यर्थी दे सकेंगे.
किस जिले में कितने पद
जिला- एक से पांच -छह से आठ
बोकारो -891 -962
चतरा -958 -1524
देवघर -1205 -1415
धनबाद -986 -1142
दुमका -141 -1829
गढ़वा -833 -1008
गिरिडीह -1906 -2687
गोड्डा -880 -1160
गुमला -767 -1160
हजारीबाग -824 -1061
जामताड़ा -616 -918
खूंटी -455 -612
कोडरमा -378 -597
लातेहार -634 -903
लाेहरदगा -285 -429
पाकुड़ -566 -783
पलामू -1542 -3182
प सिंहभूम -1226 -1436
पूर्वी सिंहभूम -910 -1226
रामगढ़ – 324 -429
रांची -1186 -1601
साहिबगंज -736 -1011
सरायकेला -865 -1374
सिमडेगा -439 -660
युवाओं ने सीएम से जल्द निर्णय लेने की रखी मांग
खतियानी जोहार यात्रा में युवाओं के एक समूह ने मुख्यमंत्री से मिलकर नियोजन नीति को लेकर हाइकोर्ट के फैसले पर निर्णय लेने की बात कही. वहीं युवाओं के एक समूह ने सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने के रुख का विरोध भी किया. वहीं एक युवक ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अगर गये तो फांसी लगा लेंगे सर. दरअसल, अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा था कि हाइकोर्ट के फैसले की जानकारी मिली है, फैसले में क्या है, पहले देखेंगे और कानूनविदों की राय लेंगे. जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट भी जायेंगे.
बाबूलाल ने ट्वीट कर सरकार पर साधा निशाना
झारखंड कर्मचारी चयन आयोग स्नातक स्तरीय परीक्षा संचालन संशोधन नियमावली-2021 को असंवैधानिक बताते हुए हाइकोर्ट द्वारा निरस्त करने पर भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर प्रतिक्रिया व्यक्त की है. श्री मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को संबोधित ट्वीट में कहा कि रघुवर दास सरकार की नीति को आप रद्द कर चुके हैं और आपकी नियोजन नीति को उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया.
अब बिना किसी नीति के नियोजन कैसे होगा? आपके अफसर तो पहले वैकल्पिक नीति बनाने को लंबा लटकायेंगे. उसमें इतनी गलती करेंगे कि मामला फिर कोर्ट में चला जाये और बेचारे युवा नौकरी न देने की आपकी योजना का शिकार बन कर लड़ते-लड़ते बूढ़े हो जायेंगे.
हाइकोर्ट का फैसला सरकार की करारी हार
रांची. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा है कि हेमंत सरकार की नियोजन नीति-2021 को लेकर हाइकोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. श्री प्रकाश ने कहा है कि हेमंत सरकार की बनायी गयी एक भी नीति लोक कल्याणकारी नहीं है. हाइकोर्ट का फैसला हेमंत सरकार की करारी हार, झारखंड की जीत है.
ऐसी नीतियों का यही हाल होना है. यह सरकार कानून विरोधी नीतियों के द्वारा केवल योजनाओं को लटकाने, भटकाने और अटकाने का काम करती है़ उन्होंने कहा कि झारखंड के मूलवासी हेमंत सरकार के नियोजन नीति से परेशान थे. भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि इसी प्रकार भाषा के आधार पर भी राज्य सरकार ने अनुचित निर्णय लिया है. घर-घर बोली जाने वाली हिंदी और अंग्रेजी को हटा कर इस सरकार ने चंद लोगों द्वारा व्यवहार में लायी जाने वाली उर्दू भाषा को प्राथमिकता दी थी, यह तुष्टीकरण की पराकाष्ठा थी.