झारखंड हाईकोर्ट ने नेता प्रतिपक्ष मामले में दिया विधानसभा सचिव व सरकार को जवाब दायर करने का निर्देश
दूसरा नेता प्रतिपक्ष के मामले में झारखंड हाइकोर्ट विधानसभाध्यक्ष को निर्देश दे सकता हैं या नहीं. इस पर शपथ पत्र दायर करने के लिए प्रतिवादी ने समय देने का आग्रह किया
हाइकोर्ट ने राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर अवमानना याचिका सहित अन्य जनहित याचिकाअों पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थियों व प्रतिवादी का पक्ष सुना. इसके बाद खंडपीठ ने दो बिंदुअों पर राज्य सरकार व झारखंड विधानसभा के सचिव को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. तीन वर्किंग डे में जवाब दायर किया जाये.
यदि कोई राजनीतिक दल नेता प्रतिपक्ष के लिए किसी का नाम देती है, तो विधानसभाध्यक्ष क्या सिर्फ इस आधार पर इस मामले को लंबित रख सकते हैंं कि उनके खिलाफ दल-बदल का मामला चल रहा है तथा दूसरा नेता प्रतिपक्ष के मामले में हाइकोर्ट विधानसभाध्यक्ष को निर्देश दे सकता हैं या नहीं. इस पर शपथ पत्र दायर करने के लिए प्रतिवादी ने समय देने का आग्रह किया, जिसे खंडपीठ ने स्वीकार कर लिया.
साथ ही मामले की फाइनल सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 25 जुलाई की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व राज्य सरकार व विधानसभा सचिव की अोर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल को पक्ष रखना था. उनकी अोर से स्वास्थ्य के आधार पर समय देने का आग्रह किया गया, जिसका विरोध प्रार्थी राजकुमार की अोर से वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह व अधिवक्ता अभय कुमार मिश्र तथा एडवोकेट एसोसिएशन की अोर से अधिवक्ता नवीन कुमार ने किया.
उन्होंने खंडपीठ को बताया कि बार-बार प्रतिवादी द्वारा समय लेकर मामले को लंबा खींचा जा रहा है. उधर आयोग में नियुक्ति नहीं हो पा रही है. आम लोग अपने मामलों को लेकर परेशान हैं. विधानसभा सचिव की अोर से अधिवक्ता अनिल कुमार ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी राजकुमार ने अवमानना याचिका दायर की है. उन्होंने सूचना आयोग में नियुक्ति के मामले में हाइकोर्ट के आदेश का अनुपालन कराने की मांग की है. लगभग 12 संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष व सदस्यों का पद खाली है.