झारखंड हाइकोर्ट ने झारखंड विधानसभा में लगभग 150 से अधिक अवैध नियुक्तियों के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान विधानसभा का पक्ष सुना. खंडपीठ ने जांच आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं किये जाने पर नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की एक सदस्यीय आयोग द्वारा की गयी अवैध नियुक्तियों की जांच रिपोर्ट को कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.
कहा कि यदि जांच आयोग की रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत नहीं की जाती है, तो अगली सुनवाई के दाैरान विधानसभा सचिव कोर्ट में सशरीर उपस्थित रहेंगे. आयोग की रिपोर्ट कोर्ट देखना चाहता है. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 16 अगस्त की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व विधानसभा की ओर से अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश व अधिवक्ता अनिल कुमार ने पैरवी की.
विधानसभा कीओर से शपथ पत्र दायर कर बताया गया कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट फिलहाल जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षतावाले आयोग के पास है. इसलिए प्रस्तुत नहीं किया जा सका. इस पर खंडपीठ ने कहा कि एसजे मुखोपाध्याय आयोग से जांच रिपोर्ट लेकर कोर्ट में प्रस्तुत की जाये.
प्रार्थी की ओर से बताया गया कि वर्ष 2005 से लेकर 2007 के बीच में विधानसभा में लगभग 150 से अधिक लोगों की नियुक्ति की गयी थी. नियुक्तियां अवैध थी. नियुक्ति की जांच जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की एक सदस्यीय आयोग ने की थी. आयोग ने राज्यपाल को वर्ष 2018 में रिपोर्ट सौंप दी थी. रिपोर्ट के आधार पर राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को कार्रवाई करने को कहा था, लेकिन उक्त आयोग की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट को जांचने के लिए एक दूसरा आयोग बना दिया गया है.
झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने संयुक्त स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक प्रतियोगिता परीक्षा-2016 में अधिक अंक लाने के बाद भी नियुक्ति नहीं होने के मामले में सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थियों व झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) का पक्ष सुना.
अदालत ने प्रतिवादी जेएसएससी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कुल रिक्तियों के विरुद्ध बनायी गयी विषयवार स्टेट मेरिट लिस्ट तथा साथ ही की गयी अनुशंसा को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. अदालत ने यह भी जानना चाहा कि प्रतियोगिता परीक्षा से कितने शिक्षकों की नियुक्ति हाइस्कूलों में हो चुकी है. कितनी अनुशंसा की गयी तथा विषयवार कट ऑफ मार्क्स क्या था. इसके लिए अदालत ने चार सप्ताह का समय प्रदान किया. मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 23 अगस्त की तिथि निर्धारित की.