झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में इलाज की लचर व्यवस्था को लेकर स्वतः संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस राजेश कुमार की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि रिम्स में गरीब व पैसेवाले दोनों तरह के मरीज आते हैं. यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था में भारी कमियां हैं, उसमें तत्काल सुधार की जरूरत है.
इलाज में काम आनेवाली दवाएं, कॉटन, बैंडेज, सिरिंज सहित अन्य जरूरत के सामान का अभाव बना रहता है. जरूरत के सामान खत्म होने के पहले ही स्टॉक मंगा लेना चाहिए, ताकि रिम्स जैसे बड़े अस्पताल में किसी चीज का अभाव नहीं हो. रिम्स में सीटी स्कैन मशीन, एक्स-रे मशीन, अल्ट्रासाउंड मशीन, पैथोलॉजी आदि हमेशा कार्यरत रहें. रिम्स प्रबंधन ऐसी व्यवस्था करे कि किसी प्रकार की जांच कभी बंद नहीं हो. रिम्स के मरीजों को जांच के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़े.
खंडपीठ ने कहा कि रिम्स में मेडिकल स्टाफ की भारी कमी है. न्यूनतम कर्मियों से काम लिया जा रहा है. रिक्त पदों पर अब तक नियुक्ति नहीं हो पायी है. नियुक्ति प्रक्रिया जल्द पूरी की जानी चाहिए. खंडपीठ ने रिम्स को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. रिम्स में सभी जरूरी सामग्री, उसका स्टॉक, स्टाफ सहित वर्तमान में जो भी आवश्यकताएं हैं, उसका आकलन कर शपथ पत्र में बताने को कहा. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 11 नवंबर की तिथि निर्धारित की.
इससे पूर्व रिम्स की ओर से अधिवक्ता डॉ अशोक कुमार सिंह ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि एक सप्ताह के अंदर लगभग 320 नर्सों की नियुक्ति कर ली जायेगी. एक्सरे प्लेट सहित अन्य जरूरत के सामान को रिम्स में उपलब्ध करा दिया गया है. राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार व अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि रिम्स में इलाज की लचर व्यवस्था को गंभीरता से लेते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने जनहित याचिका में बदल दिया था.