झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य भर की अदालतों की सुरक्षा को लेकर जताई नाराजगी, अब तक क्या किया, बताये सरकार
राज्य भर की अदालतों की सुरक्षा के लिए उठाये गये कदमों की कोई जानकारी नहीं दी गयी है. खंडपीठ ने सरकार को अदालतों की सुरक्षा को लेकर पहले और वर्तमान में उठाये गये कदमों की स्पष्ट जानकारी देने का निर्देश दिया.
Jharkhand High Court: झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य भर की अदालतों की सुरक्षा, अदालत भवनों की जर्जर स्थिति काे लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट जवाब दायर नहीं होने पर नाराजगी जतायी. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान माैखिक रूप से कहा कि सरकार के जवाब में अदालतों की सुरक्षा के लिए उठाये गये कदमों की कोई जानकारी नहीं दी गयी है. खंडपीठ ने सरकार को अदालतों की सुरक्षा को लेकर पहले और वर्तमान में उठाये गये कदमों की स्पष्ट जानकारी देने का निर्देश दिया.
मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 16 दिसंबर की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी अधिवक्ता हेमंत कुमार सिकरवार ने पक्ष रखते हुए बताया कि अधिकतर अदालत परिसर में सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था नहीं है. उल्लेखनीय है कि राज्य भर की अदालतों की सुरक्षा व अदालत भवनों की दयनीय स्थिति को गंभीरता से लेते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. अधिवक्ता हेमंत कुमार सिकरवार व झारखंड स्टेट बार काउंसिल की ओर से भी अलग-अलग जनहित याचिका दायर की गयी है.
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छठी कक्षा में चयनित बच्चों का क्यों नहीं हुआ नामांकन
झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने नेतरहाट आवासीय विद्यालय में छठी कक्षा के लिए चयनित बच्चों का नामांकन नहीं लेने के मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दाैरान अदालत ने प्रार्थी का पक्ष सुना. इसके बाद मामले में प्रतिवादी नेतरहाट आवासीय विद्यालय को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया. अदालत ने पूछा कि जब छठी कक्षा में नामांकन के लिए बच्चों का चयन हो गया था, तो उनका नामांकन लेने से इनकार क्यों किया गया.
अदालत ने प्रतिवादी को अपना पक्ष रखने को कहा. मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने पांच जनवरी 2023 की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता सुभाशीष रसिक सोरेन ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि नेतरहाट आवासीय विद्यालय में बच्चों का छठी कक्षा में नामांकन के लिए चयन किया गया. तीन चयनित बच्चों का विद्यालय द्वारा नामांकन नहीं लिया गया. विद्यालय द्वारा यह कहा गया कि रांची सदर अस्पताल में चयनित बच्चों का हेल्थ चेक अप कराया गया, तो चिकित्सकों ने उनकी उम्र 13-14 वर्ष बतायी है. निर्धारित उम्र से अधिक होने के कारण उनका नामांकन नहीं लिया गया, जबकि सरकार द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र में प्रार्थी बच्चों की उम्र 12 वर्ष से नीचे है.
कंप्यूटराइजेशन के मामले में जवाब देने का निर्देश
झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य भर के जिला उपभोक्ता फोरम व राज्य उपभोक्ता आयोग के कंप्यूटराइजेशन व रिक्तियों को भरने के मामले में दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने केंद्र सरकार का पक्ष सुनने के बाद दो सप्ताह का समय दिया. पूछा कि कार्यालयों के कंप्यूटराइजेशन की अद्यतन स्थिति क्या है. निर्देश दिया कि उपभोक्ता आयोग व फोरम कार्यालय के कंप्यूटराइजेशन के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाये. खंडपीठ ने माैखिक रूप से यह भी कहा कि झारखंड राज्य उपभोक्ता आयोग का पद खाली है. इसे भरने के लिए सरकार ने कई बार विज्ञापन निकाला है, लेकिन हाइकोर्ट के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने आवेदन नहीं दिया. क्या केंद्र सरकार इस बिंदु पर संशोधन करना चाहेगी. इससे पूर्व केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि शपथ पत्र तैयार हो गया है, लेकिन वह फाइल नहीं किया जा सका है.