JNC की कार्यशैली पर झारखंड हाईकोर्ट ने जतायी नाराजगी, दिया- छह हफ्ते में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील की दलीलों के आधार पर कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति मानते हुए मामले को संगीन माना और एक उच्चस्तरीय न्यायिक कमीशन गठित की, जो मामले की जांच करेगी
हाइकोर्ट ने मंगलवार को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (जेएनएसी) की कार्यशैली पर नाराजगी जतायी. मुख्य न्यायाधीश ने भवनों के निर्माण में अनियमितता और पार्किंग की समस्या के खिलाफ कार्रवाई नहीं किये जाने पर तीखी टिप्पणी की. मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा ने अक्षेस के वकील से पूछा, 2011 के आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया? याचिकाकर्ता के वकील अखिलेश श्रीवास्तव ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि क्या उपरोक्त समयावधि के अधिकारियों पर कानून के सम्मान की जिम्मेदारी थी या नहीं.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील की दलीलों के आधार पर कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति मानते हुए मामले को संगीन माना और एक उच्चस्तरीय न्यायिक कमीशन गठित की, जो मामले की जांच करेगी. याचिकाकर्ता द्वारा उपलब्ध सूची के अनुसार कोर्ट ने अब तक निर्मित और निर्माणाधीन भवनों की जांच, नक्शा मिलान, पार्किंग की आनुपातिक स्थिति और संबंधित अधिकारियों की कार्यशैली पर रिपोर्ट मांगी है. कमीशन में चार सदस्य हैं, जो कोर्ट के दिशा-निर्देश में जांच करेंगे. याचिकाकर्ता से सूची लेकर नक्शा विचलन कर बने भवनों और पार्किंग की जांच की जायेगी.
साकची व बिष्टुपुर बाजार की पार्किंग की भी जांच
साकची और बिष्टुपुर बाजार की पार्किंग की भी जांच होगी. वर्ष 2011 से 2023 के बीच बने सभी निर्मित और निर्माणाधीन भवनों की सूची देने का आदेश दिया गया है. उच्चस्तरीय न्यायिक कमीशन अपनी रिपोर्ट छह सप्ताह में हाईकोर्ट को सौंपेगा. उच्च अधिकारियों के आने-जाने व रहने का सारा इंतजाम जमशेदपुर अक्षेस को वहन करना पड़ेगा. मुख्य न्यायाधीश ने जांच के दौरान पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त, वरीय पुलिस अधीक्षक और अक्षेस अधिकारी को सहयोग करने का आदेश दिया है.