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अवैध माइनिंग पर झारखंड हाईकोर्ट ने दिया विशेष समिति को 1 हफ्ते का समय, इन तीन जिलों के DC को दिया ये निर्देश

उपायुक्तों को निर्देश देते हुए खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि अवैध माइनिंग पर पूरी तरह से रोक लगाने में कोई कोताही नहीं बरती जाये. अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी.

रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने पलामू, गढ़वा और लातेहार जिले में हो रही अवैध माइनिंग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने प्रार्थी व राज्य सरकार का पक्ष सुना. खंडपीठ ने तीन सदस्यीय विशेष समिति को रिपोर्ट दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय देने का आग्रह स्वीकार नहीं किया.

समिति को एक सप्ताह का समय देते हुए खंडपीठ ने रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा. साथ ही खंडपीठ ने गढ़वा, पलामू व लातेहार में पत्थर और बालू के खनन व परिवहन पर रोक लगाने का निर्देश दिया. उक्त जिलों के उपायुक्तों को निर्देश देते हुए खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि अवैध माइनिंग पर पूरी तरह से रोक लगाने में कोई कोताही नहीं बरती जाये. अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी.

इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने खंडपीठ को बताया कि कोर्ट के आदेश के आलोक में तीन सदस्यीय विशेष समिति बनायी गयी है. समिति द्वारा अनुरोध किया गया है कि रिपोर्ट दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय प्रदान किया जाये, ताकि सभी बिंदुओं पर रिपोर्ट तैयार कर दायर की जा सके.

प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी पंकज कुमार यादव ने जनहित याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि पलामू, गढ़वा जिलों में बड़े पैमाने पर अवैध माइनिंग होती है. पहाड़ काट कर पत्थरों का उत्खनन कर आसपास के जिलों में भेजा जाता है. पत्थर बिहार भेजा जाता है. पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से अवैध माइनिंग का यह खेल चलता है.

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