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पारा शिक्षकों को झारखंड हाइकोर्ट से बड़ी राहत, आवेदन करने वाले की अब इस श्रेणी में भी होगी नियुक्ति

चयन की पूरी प्रक्रिया चार माह के अंदर पूरी की जायेगी. खंडपीठ ने कहा है कि यह स्पष्ट कर दिया जाये कि किसी भी कारण से आगे कोई काउंसेलिंग नहीं की जायेगी

वर्ष 2015 के प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में प्रारंभिक शिक्षक नियुक्ति में गैर पारा श्रेणी में आवेदन करनेवाले पारा शिक्षकों को झारखंड हाइकोर्ट से बड़ी राहत मिल गयी है. जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस नवनीत कुमार की खंडपीठ ने मामले में राज्य सरकार व अन्य की ओर से दायर अपील याचिकाओं पर फैसला सुनाया. खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को सही ठहराते हुए बरकरार रखा. साथ ही मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. खंडपीठ ने कहा कि एकल पीठ द्वारा पारित आदेश उचित है. उसमें हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है. खंडपीठ ने राज्य सरकार को प्रतिवादी अभ्यर्थियों, जो पारा शिक्षक थे, लेकिन उन्होंने गैर पारा श्रेणी में नियुक्ति के लिए आवेदन दिया था तथा अंतिम चयनित अभ्यर्थी से अधिक अंक प्राप्त किया था. उनके लिए अतिरिक्त काउंसेलिंग कर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया. पूर्व में अपील याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. खंडपीठ ने कहा कि आदेश का यथाशीघ्र अनुपालन किया जाये, क्योंकि रिक्तियां वर्ष 2015 की हैं.

याचिकाकर्ताओं के लिए अंतिम अवसर के माध्यम से काउंसलिंग की प्रक्रिया तुरंत शुरू करें, क्योंकि यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने संबंधित जिलों में मेरिट सूची में अंतिम चयनित अभ्यर्थी की तुलना में अधिक अंक प्राप्त किया है. आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से चार सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ताओं को संबंधित जिलों के उपायुक्त से संपर्क करना होगा. हालांकि संबंधित जिले के उपायुक्त प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से याचिकाकर्ताओं को उचित नोटिस देंगे, नोटिस का विज्ञापन करेंगे. चयन की पूरी प्रक्रिया चार माह के अंदर पूरी की जायेगी. खंडपीठ ने कहा है कि यह स्पष्ट कर दिया जाये कि किसी भी कारण से आगे कोई काउंसेलिंग नहीं की जायेगी, क्योंकि इन शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन वर्ष 2015 का है.

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इस आदेश को मिसाल के तौर पर नहीं लिया जायेगा. इससे पूर्व मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता व पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार, अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने पक्ष रखा. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि सरकार की धारणा है कि पारा शिक्षक, जो गैर पारा शिक्षक में आवेदन किये थे, उन्हें नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर करना उचित नहीं है. आरक्षण का लाभ नहीं लेने का निर्णय लिया तथा गैर पारा श्रेणी में आवेदन किया था. काउंसेलिंग के क्रम में या तो काउंसेलिंग में भाग नहीं लेने दिया गया या उन्हें नहीं बुलाया गया. प्रतिवादी अभ्यर्थियों के साथ ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 का उल्लंघन है. उन्हें एक अवसर मिलना चाहिए. वहीं राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी झारखंड सरकार व अन्य की ओर से अपील याचिका दायर कर एकल पीठ के आदेश को चुनाैती दी गयी थी. एकल पीठ ने राज्य सरकार के इस निर्णय को गलत माना था. साथ ही आदेश दिया था कि वैसे पारा शिक्षक जो उक्त नियुक्ति परीक्षा में गैर पारा शिक्षक श्रेणी में आवेदन किये थे और जिनका अंक अंतिम चयनित अभ्यर्थी से अधिक है, उनके संबंध में उचित कार्रवाई की जाये. उनके लिए अलग से काउंसेलिंग की जाये.

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