साइबर ठगी के शिकार लोगों के पैसे होंगे वापस ? झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार को दिया ये निर्देश
ठगी के शिकार लोगों के पैसे वापसी को लेकर झारखंड में एक ऐसा मॉडल बने, जो देश में मिसाल बने. साइबर ठगी का पैसा कैसे वापस हो सकता है, तात्कालिक व्यवस्था क्या हो सकती है
रांची : राज्य में साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की खंडपीठ ने मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार व केंद्रीय गृह मंत्रालय के इंडियन साइबर क्राइम कंट्रोल को-ऑर्डिनेशन सेंटर (आइएससीसीसीसी) को जवाब दायर करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने गृह सचिव, आइटी सचिव, डीजी सीआइडी, आइएससीसीसीसी, एसपी सीआइडी आदि को मामले में प्रतिवादी बनाया है.
खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि ठगी के शिकार लोगों को तात्कालिक राहत के लिए अलग से कोष बना कर उनके पैसे वापसी पर विचार होना चाहिए. ठगी के शिकार लोगों के पैसे वापसी को लेकर झारखंड में एक ऐसा मॉडल बने, जो देश में मिसाल बने. साइबर ठगी का पैसा कैसे वापस हो सकता है, तात्कालिक व्यवस्था क्या हो सकती है, ताकि प्रभावित लोगों को शीघ्र राहत मिल सके.
खंडपीठ ने पूछा कि क्या राज्य सरकार साइबर ठगी के शिकार लोगों को तात्कालिक राहत के लिए उनके पैसे वापसी को लेकर अलग से फंड बनाने पर विचार रखती है. इस संदर्भ में राज्य सरकार एक प्रपोजल तैयार कर शपथ पत्र के माध्यम से उसे प्रस्तुत करे. खंडपीठ ने आइएससीसीसीसी से भी सुझाव मांगा. पूछा कि साइबर क्राइम की पहचान कैसे करते हैं? साइबर क्राइम रोकने के लिए क्या प्रणाली है? लोगों के पैसे वापसी में उसकी क्या भूमिका हो सकती है?
मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने पांच दिसंबर की तिथि निर्धारित की. खंडपीठ ने यह भी कहा कि साइबर क्राइम के लिए झारखंड का जामताड़ा क्षेत्र काफी चर्चित है. इसकी रोकथाम व पीड़ितों को पैसा वापस देने के लिए झारखंड से एक बेहतर पहल होनी चाहिए. खंडपीठ ने मामले में सहयोग करने के लिए अधिवक्ता सौम्या एस पांडेय को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है.
सीआइडी के डीजी ने कोर्ट को दी विस्तृत जानकारी :
सुनवाई के दौरान डीजी, सीआइडी अनुराग गुप्ता सशरीर उपस्थित थे. डीजी, सीआइडी ने खंडपीठ को राज्य में साइबर क्राइम की जांच प्रणाली, साइबर सेल सहित साइबर फ्रॉड रोकने के लिए उठाये गये कदमों की विस्तृत जानकारी दी. वहीं, महाधिवक्ता राजीव रंजन व अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने बताया कि साइबर क्राइम की घटनाओं को लेकर राज्य सरकार चिंतित है.
गुजरात में साइबर ठगी के शिकार लोगों के पैसे वापस करने को लेकर वहां एक मॉडल लागू है, लेकिन उसमें कई कानूनी अड़चन है. झारखंड सरकार गुजरात मॉडल से भी बेहतर मॉडल बनाने को लेकर प्रयासरत है, ताकि साइबर ठगी के पीड़ित लोगों को पैसा वापस हो सके. गौरतलब है कि डीजी, सीआइडी अनुराग गुप्ता ने साइबर क्राइम की रोकथाम तथा इसके पीड़ित लोगों का पैसा वापसी को लेकर पत्र लिखा था. झारखंड हाइकोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए उस पर स्वत: संज्ञान लिया.