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अमित अग्रवाल को नहीं मिली राहत, राजीव कैश कांड की अब CBI करेगी जांच, हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश

झारखंड हाइकोर्ट में अमित अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई हुई. इडी ने हाइकोर्ट में दाखिल किये गये अपने जवाब में कहा था कि अमित अग्रवाल ने सुनियोजित साजिश के तहत अपने सहयोगियों के माध्यम से राजीव कुमार को कोलकाता बुलाया

झारखंड हाइकोर्ट ने राजीव कुमार कैश कांड की जांच सीबीआइ को देते हुए 15 दिनों के अंदर पीइ दर्ज करने का आदेश दिया है. हाइकोर्ट ने अमित अग्रवाल की याचिका को भी खारिज कर दिया है. अमित अग्रवाल ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर राजीव कैश कांड में इडी द्वारा उसे गिरफ्तार करने की कार्रवाई को चुनौती दी थी. हाइकोर्ट द्वारा इडी को जवाब देने के लिए समय देने और मामले में सुनवाई की अगली तिथि 30 नवंबर निर्धारित किये जाने के खिलाफ भी अमित ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया है.

पूर्व निर्धारित तिथि पर बुधवार को हाइकोर्ट में अमित अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई हुई. इडी ने हाइकोर्ट में दाखिल किये गये अपने जवाब में कहा था कि अमित अग्रवाल ने सुनियोजित साजिश के तहत अपने सहयोगियों के माध्यम से राजीव कुमार को कोलकाता बुलाया. पुलिस में अपने संपर्क का इस्तेमाल कर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी और 31 जुलाई को राजीव कुमार को 50 लाख रुपये देने के बाद गिरफ्तार कराया.

अमित ने यह साजिश 1000 करोड़ रुपये के अवैध खनन मामले पर पर्दा डालने के लिए रची. साथ ही न्यायालय और इडी के अधिकारियों की छवि धूमिल करने की कोशिश भी की. इसलिए उसकी शिकायत में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराएं लगायी गयी. उसे इस बात का डर था कि हाइकोर्ट में चल रही जनहित याचिका में जांच का आदेश दिये जाने पर उसके खिलाफ भी जांच हो सकती है.

हाइकोर्ट में चल रही जनहित याचिका में शेल कंपनियों सहित कुछ अन्य कंपनियों में निवेश कर राजनीतिज्ञों के पैसों को जायज करार देने की कोशिश का आरोप लगाया गया था. जांच में पाया गया कि अमित अग्रवाल की कंपनियों के नाम भी इसमें शामिल थे. राजीव कुमार को लालच देकर फंसाया गया, क्योंकि याचिकाकर्ता का पक्ष न्यायालय में वही रख रहे थे.

अमित अग्रवाल ने खुद को भ्रष्टाचार उजागर करनेवाला बताया था

अमित अग्रवाल ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इसमें उसकी ओर से कहा गया था कि इस पूरे प्रकरण में वह भ्रष्टाचार को उजागर करनेवाला व्यक्ति है. याचिकाकर्ता द्वारा जनहित याचिका दायर कर उसे धीमा करने और बाद में समाप्त करने के लिए पैसे लिये जाने की सूचना उसे थी.

इस सूचना के आधार पर उसने राजीव कुमार से संपर्क किया और बाद में उसके खिलाफ कोलकाता में शिकायत दर्ज करायी. इस शिकायत के आधार पर राजीव कुमार को पैसे लेते हुए कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार किया. बाद मे इडी ने उसे ही अभियुक्त बना दिया.

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