प्रधान की मृत्यु के बाद उसके वारिस की बहाली होगी, झारखंड हाइकोर्ट ने सुनाया फैसला
झारखंड हाइकोर्ट की पूर्ण पीठ ने बुधवार को उक्त फैसला सुनाया. पूर्ण पीठ में जस्टिस अपरेश कुमार सिंह, जस्टिस रत्नाकर भेंगरा व जस्टिस अनिल कुमार चौधरी शामिल थे
झारखंड हाइकोर्ट ने संताल परगना क्षेत्र के प्रधानी गांवों में प्रधान की मृत्यु के बाद उसके वारिस की नियुक्ति (वंशानुगत प्रधान की नियुक्ति) को विधिसम्मत व एसपीटी एक्ट (सप्लीमेंटरी प्रोविजन)-1949 के प्रावधानों के अनुकूल बताया है. जहां जो परंपरा (कस्टम) है, वह मान्य होगा. बहाली में महिला व पुरुष में कोई अंतर नहीं रहेगा. बिंदु निर्धारित करते हुए मामले को अंतिम निर्णय के लिए एकल पीठ को भेज दिया.
झारखंड हाइकोर्ट की पूर्ण पीठ ने बुधवार को उक्त फैसला सुनाया. पूर्ण पीठ में जस्टिस अपरेश कुमार सिंह, जस्टिस रत्नाकर भेंगरा व जस्टिस अनिल कुमार चौधरी शामिल थे. पूर्ण पीठ ने अपने फैसले में कहा कि एसपीटी एक्ट-1949 की धारा-पांच व छह में प्रधान की नियुक्ति का स्पष्ट प्रावधान है. इस मामले में पूर्ण पीठ ने तीन फरवरी 2023 को सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इससे पूर्व मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता जयप्रकाश झा, वरीय अधिवक्ता राजीव शर्मा, अधिवक्ता श्रीप्रकाश झा व अन्य ने पक्ष रखा था, जबकि एमिकस क्यूरी अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने पैरवी की थी. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अलुमनी हांसदा व मो लुकमान की ओर से अलग-अलग याचिका दायर की गयी है. पटना व झारखंड हाइकोर्ट के विभिन्न फैसलों में भिन्नता के कारण मामला पूर्ण पीठ में रेफर हुआ था.
एसपीटी एक्ट में है प्रधान की नियुक्ति का स्पष्ट प्रावधान : एसपीटी एक्ट (सप्लीमेंटरी प्रोविजन) की धारा-पांच में स्पष्ट रूप से खास माैजा के रैयतों द्वारा इच्छा व्यक्त करने पर कि उसके माैजा में प्रधान की बहाली हो, उसके बाद प्रधान की नियुक्ति की प्रक्रिया अपनायी जायेगी.
खास माैजा के दो तिहाई रैयतों की स्वीकृति के आधार पर प्रधान की नियुक्ति होगी, जबकि धारा-छह स्पष्ट रूप से प्रधानी माैजा के प्रधान की मृत्यु के बाद की स्थिति के बारे में कहता है और शिड्यूल-पांच के उपबंध तीन व चार के तहत यह स्पष्ट निर्देशित है कि प्रधान का कार्यालय ही वंशानुगत है. उसकी मृत्यु के बाद उसके वारिस, चाहे पुत्र हो या पुत्री उनकी नियुक्ति प्रधान के पद पर की जायेगी.