Jharkhand High Court: पुलिस नशे का कारोबार रोके, नहीं तो अदालत करेगी हस्तक्षेप, झारखंड हाईकोर्ट ने दी सख्त हिदायत
झारखंड हाईकोर्ट ने नशे के अवैध कारोबार पर पूरी तरह से रोक नहीं लगने पर नाराजगी जतायी. मामले की सुनवाई के दौरान सख्त हिदायत दी कि पुलिस नशे का कारोबार रोके, नहीं तो अदालत हस्तक्षेप करेगी.
रांची, राणा प्रताप: झारखंड हाईकोर्ट ने खूंटी जिले में अफीम की खेती में खतरनाक वृद्धि को गंभीरता से लेते हुए स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने नशे के अवैध कारोबार पर पूरी तरह से रोक नहीं लगने पर नाराजगी जतायी.
नशे के कारोबार पर रोक लगाने में पुलिस विफल
झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि झारखंड में नशे का अवैध कारोबार रोकने में अब तक पुलिस विफल रही है. मादक पदार्थ बेचनेवाले दुकानों को पुलिसकर्मी सुबह 3:00 बजे तक खुला रहने देते हैं. मादक पदार्थों की खरीद-बिक्री पर पुलिस नियंत्रण नहीं कर पा रही है, जो चिंताजनक है. ऐसा लगता है कि नशे के कारोबार में पुलिस की भी संलिप्तता है. यह स्थिति कतई ठीक नहीं है. खंडपीठ ने सख्त हिदायत दी और कहा कि यदि पुलिस नशे का कारोबार नहीं रोकती है, तो इस मामले में कोर्ट हस्तक्षेप करेगा और सख्त आदेश पारित करेगा.
18 जून को होगी अगली सुनवाई
खंडपीठ ने राज्य सरकार को विस्तृत जवाब दायर कर यह बताने का निर्देश दिया कि नशे के कारोबार रोकने को लेकर क्या-क्या कदम उठाये गये हैं? क्या कार्रवाई की जा रही है? खंडपीठ ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) को भी शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. इससे पहले राज्य सरकार की ओर से मामले में शपथ पत्र दायर किया गया, लेकिन खंडपीठ ने अन्य कई बिंदुओं पर सरकार को जानकारी देने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 18 जून को होगी. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दायर कर नशे के कारोबारियों के खिलाफ की गयी कार्रवाई की जानकारी दी गयी. वहीं, एनसीबी की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि पूर्व में इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि नशे का प्रसार पीढ़ियों को बर्बाद कर रहा है. समाज व अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव काफी चिंताजनक हैं. किसी भी समाज के लिए मादक पदार्थों का प्रयोग घातक है. समाज में नशे का प्रसार पीढ़ियों को बर्बाद कर देता है. कहा जाता है कि नशा दीमक की तरह काम करता है, जो समाज और देश की युवा शक्ति को खोखला कर देता है.
ऐसे कोर्ट के संज्ञान में आया मामला
जस्टिस राजेश कुमार की अदालत ने एक जमानत के मामले में सुनवाई के दौरान खूंटी में हो रहे बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की जानकारी सामने आने पर उस पर स्वत: संज्ञान लिया था. इस मामले में एसपी अमन कुमार ने अदालत को बताया था कि खूंटी जिले में हजारों एकड़ भूमि पर बड़े पैमाने पर अफीम की खेती हो रही है. एसपी ने अदालत के समक्ष स्वीकार किया था कि पुलिस ने पिछले वर्ष लगभग 2200 एकड़ में लगी अफीम की खेती को नष्ट किया था. इस साल भी अब तक लगभग 1400 एकड़ में अफीम की खेती को नष्ट किया गया है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. वर्तमान में उपलब्ध पुलिस बल इस मुद्दे से निबटने के लिए पर्याप्त नहीं है.
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