झारखंड हाइकोर्ट ने चिटफंड व नन बैंकिंग कंपनियों द्वारा निवेशकों से ठगे गये अरबों रुपये लौटाने को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान सभी का पक्ष सुनने के बाद राज्य सरकार को तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति बनाने का निर्देश दिया. समिति के अध्यक्ष हाइकोर्ट के रिटायर चीफ जस्टिस होंगे.
समिति में रिटायर चीफ जस्टिस के अलावा सेक्रेटरी बोर्ड ऑफ रेवेन्यू व सीबीआइ के डीआइजी रैंक के एक अधिकारी भी सदस्य रहेंगे. यह उच्चस्तरीय समिति चिटफंड कंपनियों में जमा छोटे निवेशकों के पैसे वापस दिलाने का प्रयास करेगी. खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार 45 दिनों के अंदर समिति के गठन संबंधी अधिसूचना जारी करे. साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने आठ नवंबर की तिथि निर्धारित की.
पूर्व की सुनवाई में निवेशकों का पैसा वापसी को लेकर सीआइडी आइजी की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति गठित करने के राज्य सरकार के निर्णय को कोर्ट ने नहीं माना था. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता अशोक कुमार यादव ने पैरवी की. वहीं प्रार्थी की अोर से बताया गया था कि निवेशकों के पैसे लाैटाने को लेकर राज्य सरकार एक आयोग बनाये. दूसरे राज्यों में समिति बना कर लोगों के पैसे लाैटाये जा रहे हैं. घोटाला में शामिल चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई में सीबीआइ व इडी ने करोड़ों रुपये की चल-अचल संपत्ति जब्त की है.
जब्त पैसे छोटे-छोटे निवेशकों के हैं, उसे वापस लाैटाया जाना चाहिए. उल्लेखनीय है कि नन बैंकिंग अभिरक्षा एवं निवेशक सुरक्षा समिति व अन्य की अोर से अलग-अलग जनहित याचिका दायर की गयी है. प्रार्थियों ने चिटफंड कंपनियों में हजारों निवेशकों के जमा अरबों रुपये लाैटाने की मांग की है. वहीं हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में सीबीआइ चिटफंड कंपनियों द्वारा निवेशकों से किये गये घोटाले की जांच कर रही है.