रांची : विधानसभा नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले को लेकर आज हाइकोर्ट में सुनवाई होगी. हाइकोर्ट ने नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले की जांच करनेवाले सेवानिवृत्त जस्टिस विक्रमादित्य की रिपोर्ट मांगी है. विधानसभा को यह रिपोर्ट अब तक नहीं मिल पायी है. हाइकोर्ट ने सात दिनों के अंदर विधानसभा सचिव को जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया था. इधर नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले में विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट के अध्ययन व उसके कानूनी पहलू पर सुझाव के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित किया था. विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट फिलहाल न्यायिक आयोग के पास है. विधानसभा ने न्यायिक आयोग से रिपोर्ट उपलब्ध कराने का आग्रह किया है. बुधवार शाम तक यह रिपोर्ट विधानसभा नहीं पहुंची थी. विधानसभा सचिवालय ने मंत्रिमंडलीय सचिवालय को भी पत्र लिख कर इस रिपोर्ट को उपलब्ध कराने का आग्रह किया था. लेकिन सरकार ने विधानसभा को साफ कह दिया कि वह इस रिपोर्ट को न्यायिक आयोग से मांग ले. यह विधानसभा का मामला है.
नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले की जांच जस्टिस विक्रमादित्य आयोग ने वर्ष 2018 में ही पूरा कर लिया था. न्यायमूर्ति विक्रमादित्य ने इसे तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को सौंपे थे. राजभवन से तत्कालीन स्पीकर दिनेश उरांव को यह रिपोर्ट भेज दिया गया था. विक्रमादित्य आयोग की सिफारिश पर कार्रवाई की दिशा में कुछ नहीं हुआ. पांच वर्षों से मामला ठंडे बस्ते में है. इधर, राज्य सरकार ने विक्रमादित्य आयोग के सिफारिश की कानूनी पेच को सुलझाने के लिए एक आयोग का गठन किया है. सेवानिवृत्त एसजे मुखोपाध्याय न्यायिक आयोग को यह रिपोर्ट 22 दिसंबर तक सौंपना है.
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एनसीपी विधायक कमलेश सिंह के दलबदल मामले की सुनवाई गुरुवार को स्पीकर रबींद्रनाथ महतो के न्यायाधीकरण में होगी. एनसीपी के दो गुट हो गये हैं. शरद पावार गुट ने विधायक ने श्री सिंह पर दलबदल की शिकायत स्पीकर से की थी. शरद गुट का कहना था कि शरद पवार गुट ही असली एनसीपी है और झारखंड में हमारे विधायक श्री सिंह पार्टी लाइन से विपरीत काम कर रहे हैं. वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं. इधर विधायक श्री सिंह शरद पवार गुट के विरोधी खेमा अजीत पवार के साथ हैं. अजीत पवार एनडीए में शामिल हो गये हैं. विधायक श्री सिंह ने भी स्पीकर को पत्र लिख कर कहा है कि यह मामला चुनाव आयोग में है. एनसीपी के चुनाव चिह्न घड़ी छाप पर फैसला होना है. ऐसे में दलबदल का कानून प्रभावी नहीं है. गुरुवार को स्पीकर के न्यायाधीकरण में उपस्थित होकर वादी-प्रतिवादी को पक्ष रखना है.