Jharkhand High Court: झारखंड हाईकोर्ट ने इस जिले के तत्कालीन डीसी पर लगाया 50 हजार जुर्माना, ये है वजह

Jharkhand High Court: साहिबगंज के तत्कालीन उपायुक्त राम निवास यादव पर झारखंड हाईकोर्ट ने 50 हजार का जुर्माना लगाया है. प्रकाश यादव की याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया.

By Guru Swarup Mishra | February 12, 2025 5:05 AM

Jharkhand High Court: रांची-झारखंड हाईकोर्ट ने साहिबगंज के तत्कालीन उपायुक्त राम निवास यादव पर 50 हजार रुपये का दंड लगाया है. इसके साथ ही याचिकादाता प्रकाश यादव उर्फ मुंगेरी यादव को माइनिंग लीज रद्द करने की वजह से हुए नुकसान की भरपाई की वसूली के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल करने की आजादी दी है. हाईकोर्ट ने प्रकाश यादव की याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश दिया है.

डीसी ने कर दी थी माइनिंग लीज रद्द


प्रकाश यादव की कंपनी ‘मेसर्स हिल मूवमेंट’ के नाम पर सरकार ने माइनिंग लीज दी थी. साहिबगंज के उपायुक्त ने आठ अगस्त 2023 को एक आदेश पारित कर कंपनी को दी गयी माइनिंग लीज रद्द कर दी थी. उपायुक्त द्वारा की गयी इस कार्रवाई को प्रकाश यादव उर्फ मुंगेरी यादव ने हाइकोर्ट में चुनौती दी. याचिका में राज्य सरकार, साहिबगंज के उपायुक्त और जिला खनन पदाधिकारी को प्रतिवादी बनाया गया था. याचिका पर मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्रा राव और न्यायाधीश दीपक रोशन की पीठ में सुनवाई हुई. याचिकादाता की ओर से यह कहा गया था कि माइनर मिनरल कंसेशन रूल में उपायुक्त को माइनिंग लीज रद्द करने का अधिकार नहीं है. उपायुक्त ने लीज रद्द करने के दौरान याचिकादाता का पक्ष नहीं सुना. उसे कभी कारण बताओ नोटिस नहीं जारी किया गया. हालांकि, लीज रद्द करने से संबंधित आदेश के साथ जनवरी 2022 और फरवरी 2022 में जारी किये गये नोटिस की कॉपी भेजी गयी. साथ ही यह भी कहा गया कि प्रकाश यादव की ओर से कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं दिया गया.

न्यायालय में दायर नहीं किया गया शपथ पत्र


मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने प्रतिवादियों को शपथ पत्र दायर कर अपना पक्ष पेश करने का निर्देश दिया. हालांकि, प्रतिवादी की ओर से शपथ पत्र दायर नहीं किया गया. 30 जनवरी 2025 को मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि बार-बार समय दिये जाने के बावजूद शपथ पत्र दायर नहीं किया गया. इसके बाद न्यायालय ने शपथ पत्र दायर करने के लिए और एक सप्ताह का समय दिया. हालांकि, प्रतिवादियों की ओर से न्यायालय द्वारा उठाये गये बिंदुओं के आलोक में शपथ पत्र दायर नहीं किया. सिर्फ यह कहा गया कि याचिकाकर्ता को अपील में जाने का प्रावधान है. वह उपायुक्त के आदेश के खिलाफ अपील में जा सकता है. इसके बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि उपायुक्त को लीज रद्द करने का कोई अधिकार नहीं है. माइंस एंड मिनरल्स डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन एक्ट-1957 की धारा-4ए(2) में निहित प्रावधानों के तहत यह अधिकार राज्य सरकार के पास है. न्यायालय ने प्रकाश यादव की माइनिंग लीज रद्द करने से संबंधित उपायुक्त के आदेश को निरस्त कर दिया. साथ ही उपायुक्त पर 50 हजार रुपये का दंड लगाया. दंड की यह रकम याचिकादाता को देने का आदेश दिया. न्यायालय ने अपने फैसले में याचिकादाता को आजादी दी कि वह लीज रद्द करने की वजह से हुए नुकसान की भरपाई के लिए न्यायालय में जा सकता है.

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