झारखंड हाईकोर्ट ने एम्स देवघर मामले में सरकार को जवाब दायर करने का दिया निर्देश
एम्स के लिए शेष बची 20 एकड़ जमीन भी अब तक उपलब्ध उपलब्ध नहीं करायी गयी है. देवघर एम्स को 237 एकड़ जमीन आवंटित की गयी थी. अब तक उसे 217 एकड़ जमीन दी गयी है.
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने एम्स देवघर में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान मुख्य सचिव के जवाब (शपथ पत्र) पर प्रार्थी की ओर से चार तरह की आपत्ति बतायी. इस पर खंडपीठ ने राज्य सरकार को प्रति उत्तर दायर करने को कहा. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि एक दिसंबर तय की. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने मुख्य सचिव के जवाब पर प्रति उत्तर दायर कर चार तरह की आपत्ति की है. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि एम्स के पावर सब स्टेशन के निर्माण पर 64 करोड़ रुपये की लागत आने की बात कही गयी है.
इस पर प्रार्थी ने बताया कि एक माह में दो-तीन बार कैबिनेट की बैठक हुई है, इसे स्वीकृत नहीं कराया गया है. पानी देने के सवाल पर प्रार्थी ने कहा कि देवीपुर मल्टी विलेज स्कीम के तहत एम्स को पानी देने की बात कही जा रही है. इससे पंचायतों को सिर्फ दो-तीन दिन ही पानी मिलता है. इससे एम्स की जरूरतें पूरी नहीं होगी. पुनासी डैम से जोड़ कर पानी की व्यवस्था की जानी चाहिए. फायर फाइटिंग के लिए एक अग्निशमन वाहन उपलब्ध कराने की बात पर प्रार्थी ने कहा कि यह अग्निशमन वाहन चार-पांच मंजिल तक ही आग बुझाने में सक्षम है, जबकि एम्स का भवन 24 मंजिला है.
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एम्स के लिए शेष बची 20 एकड़ जमीन भी अब तक उपलब्ध उपलब्ध नहीं करायी गयी है. देवघर एम्स को 237 एकड़ जमीन आवंटित की गयी थी. अब तक उसे 217 एकड़ जमीन दी गयी है. शेष जमीन के लिए राज्य सरकार को एक समय सीमा निर्धारित करनी चाहिए. एम्स में कार्यरत कर्मियों के बच्चों के लिए केंद्र सरकार केंद्रीय विद्यालय बनाने को तैयार है, लेकिन राज्य सरकार जमीन मुहैया नहीं करा रही है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी गोड्डा के सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने याचिका में कहा है कि एम्स देवघर में बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की है.