झारखंड हाइकोर्ट ने रांची के फतेहउल्लाह रोड स्थित सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस स्वर्गीय एमवाइ इकबाल की जमीन पर भू माफिया द्वारा कब्जा करने के मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान राज्य सरकार द्वारा रांची शहर की सुरक्षा को लेकर प्रस्तुत पेट्रोलिंग प्लान को देखा. इसके बाद खंडपीठ ने अगली सुनवाई के दाैरान क्राइम रिपोर्टिंग डाटा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. इसके अलावा सेक्सुअल अपराध से संबंधित जानकारी देने का भी निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी.
इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन व अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने पक्ष रखा. शपथ पत्र दायर कर बताया गया कि 162 भू माफियाओं के खिलाफ 190 केस दर्ज किया गया है. भू माफियाओं पर कार्रवाई की जा रही है. पेट्रोलिंग प्लान की जानकारी देते हुए बताया गया कि राजधानी में 30 पीसीआर वैन, 62 टाइगर मोबाइल, 15 हाइ पेट्रोलिंग वाहन व 18 शक्ति कमांडो सुरक्षा को लेकर पेट्रोलिंग करते हैं.
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पेट्रोलिंग पार्टी की लगातार मॉनिटरिंग की जाती है. शहर में 17 जगहों पर वाहनों की जांच को लेकर बैरिकेडिंग की गयी है. जगह-जगह जांच अभियान चलाया जा रहा है. रात भर पुलिस पेट्रोलिंग की व्यवस्था की गयी है. ट्रैफिक पुलिस सेल को 118 कॉलर कैमरा मुहैया कराया गया है, जिसमें एचडी कैमरा व ऑडियो विजुअल सुविधाएं उपलब्ध हैं. रांची जिले में 646 सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं.
536 स्मार्ट सीसीटीवी कैमरे भी लगाये गये हैं. एमिकस क्यूरी अधिवक्ता अतानु बनर्जी ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि भू-माफियाओं द्वारा सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस स्वर्गीय एमवाइ इकबाल की जमीन सहित अन्य लोगों की जमीन पर होनेवाले जबरन कब्जा की घटनाओं को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.
अस्पतालों में फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने के मामले में दायर नहीं हुआ जवाब : हाइकोर्ट ने राज्य के मेडिकल कॉलेजों, सरकारी व निजी अस्पतालों में आग से बचाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद शपथ पत्र दायर करने के लिए राज्य सरकार को समय प्रदान किया.
मामले की अगली सुनवाई एक सितंबर को होगी. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि वर्ष 2016 में मेडिकल कॉलेजों, सरकारी व निजी अस्पतालों में फायर फाइटिंग की व्यवस्था करने के लिए हाइकोर्ट ने निर्देश दिया था. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अनुरंजन अशोक ने जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने अस्पतालों में आग से बचाव के उपाय करने की मांग की है.