झारखंड हाईकोर्ट का रांची नगर निगम व आरआरडीए को निर्देश, कानून के नाम पर लोगों को तंग न करें, सुधारे कार्यशैली
झारखंड हाईकोर्ट ने रांची नगर निगम और आरआरडीए में नक्शा पास कराने के एवज में राशि वसूली मामले पर खुद संज्ञान लेते हुए सुनवाई की. इस दौरान कहा कि कानून के नाम पर लोगों को तंग न करें. वहीं, अधिकारियों को कार्यशैली में सुधार लाने को कहा. इस मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी.
Jharkhand News: झारखंड हाईकोर्ट ने रांची नगर निगम व रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) में नक्शा पास करने के लिए राशि वसूली को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज मामले की सुनवाई की. जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी व प्रतिवादियों का पक्ष सुना. इसके बाद खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि कानून आम लोगों की मदद के लिए होते हैं. कानून के नाम पर लोगों को अनावश्यक रूप से तंग नहीं किया जाये. लोगों को सुविधा मिले. नियमित रूप से डंप कूड़ा-कचरा का उठाव किया जाये. अधिकारी अपनी कार्यशैली में सुधार लायें. साथ ही नगर निगम व नगर निकायों में जो भी स्वीकृत पद खाली हैं, उसे जल्द भरा जाये.
31 अक्तूबर को मामले की अगली सुनवाई
खंडपीठ ने कहा कि लोगों की समस्याओं के निराकरण को लेकर निगम में शिकायत कोषांग बनाया जाये, जो प्राप्त शिकायतों का त्वरित निष्पादन करे. खंडपीठ ने राज्य सरकार के समय देने का आग्रह स्वीकार कर लिया. मामले की अगली सुनवाई 31 अक्तूबर को होगी.
महाधिवक्ता ने राज्य सरकार का रखा पक्ष
इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि रांची नगर निगम की इंफोर्समेंट टीम द्वारा दुकानदारों से ट्रेड लाइसेंस के नाम पर भयादोहन के मामले में कार्रवाई की गयी है. इंफोर्समेंट टीम के 30 सदस्यों को हटा दिया गया है. पांच सहायक प्रशासकों को ऑनलाइन चालान काटने के लिए अधिकृत किया गया है. नये ऑटो डीसीआर सॉफ्टवेयर से अब भवनों का नक्शा पास हो रहा है. रांची नगर निगम, आरआरडीए सहित अन्य नगर निकायोंं में रिक्त पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. 1688 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है. वहीं, रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव, आरआरडीए की ओर से अधिवक्ता प्रशांत कुमार सिंह व एमिकस क्यूरी अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने पैरवी की.
क्या है मामला
भवन का नक्शा पास कराना एक जटिल प्रक्रिया बन गयी थी. इसके लिए राशि की मांग की जाती थी. राशि नहीं देने पर नक्शा स्वीकृत नहीं किया जाता था. छोटे मकान के लिए 30 से 50 हजार तथा अपार्टमेंट का नक्शा पास करने के लिए 20-30 रुपये प्रति वर्ग फीट राशि वसूली जाती थी. प्रभात खबर में 29 नवंबर, 2022 को अवैध वसूली को लेकर प्रकाशित खबर को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे रिट याचिका में तब्दील कर दिया था. वहीं, ट्रेड लाइसेंस के नाम पर दुकानदारों का भयादोहन करने पर नगर निगम की इंफोर्समेंट टीम की कार्यशैली पर कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कड़ी नाराजगी जतायी थी.
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सिविल जज जूनियर डिविजन परीक्षा में प्रार्थियों का आवेदन ऑफलाइन लेने का निर्देश
दूसरी ओर, झारखंड हाईकोर्ट ने सिविल जज जूनियर डिविजन प्रतियोगिता परीक्षा में उम्र सीमा में छूट को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी व झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) का पक्ष सुना. इसके बाद खंडपीठ ने अंतरिम आदेश देते हुए जेपीएससी को निर्देश दिया कि वह 21 सितंबर तक प्रार्थियों का आवेदन ऑफलाइन मोड में जमा ले. खंडपीठ ने यह भी कहा कि प्रार्थियों का रिजल्ट इस केस के अंतिम फैसले से प्रभावित होगा. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए दिसंबर के प्रथम सप्ताह में तिथि निर्धारित करने को कहा. अब आयोग प्रार्थियों की परीक्षा भी लेगा और रिजल्ट भी देगा.
पांच साल बाद हो रही सिविल जज जूनियर डिविजन परीक्षा
इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि सिविल जज जूनियर डिविजन परीक्षा पांच वर्ष बाद हो रही है. परीक्षा प्रत्येक वर्ष होनी चाहिए थी, लेकिन नहीं ली गयी. इस कारण उनकी उम्र जेपीएससी द्वारा निर्धारित उम्र सीमा से अधिक हो गयी है और वे आवेदन नहीं कर पा रहे हैं. उम्र सीमा में छूट देने का आग्रह किया गया. वहीं, जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरावाल व अधिवक्ता प्रिंस कुमार ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अभिषेक प्रसाद व अन्य की ओर से अलग-अलग याचिका दायर की गयी है.
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