Jharkhand News (रांची) : काेरोना वायरस संक्रमण और रिम्स में इलाज की लचर व्यवस्था को लेकर झारखंड हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान से दर्ज PIL पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बैंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मामले की सुनवाई की. उन्होंने कहा कि बार-बार कहने के बावजूद व्यवस्था में सुधार की गति बहुत धीमी है. ऐसी स्थिति में लगता है कि रिम्स की स्थिति सुधारने में पूरा जीवन ही लग जायेगा.
झारखंड हाईकोर्ट के खंडपीठ ने कहा कि रिम्स बाहरी व्यवस्था पर निर्भर हो गया है. इसे हटाना मुश्किल हो गया है. खंडपीठ ने कड़ी टिप्पणी के साथ नाराजगी भी जतायी. उन्होंने रिम्स प्रबंधन को 6 जुलाई तक विभिन्न बिंदुओं पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. साथ ही शपथ पत्र के जरिये जवाब दायर करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है. मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को निर्धारित की गयी है. रिम्स की ओर से अधिवक्ता डॉ अशोक कुमार सिंह ने पक्ष रखा.
जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कई सवाल भी पूछे. रिम्स कैंपस में दवा दुकान के बारे में भी पूछा. साथ ही प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र बंद होने, कैंपस में दवाई दोस्त क्यों खुले, किसने दी अनुमति, पीएम केयर्स फंड से मिले 50 वेंटिलेर की वर्तमान में क्या स्थिति है, इन सब के बारे में सवाल पूछे गये.
खंडपीठ ने रिम्स कैंपस में दवा दुकानों के मामले में पूछा : ‘प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र’ का शटर क्यों बंद है? कैंपस में ‘दवाई दोस्त’ की दुकान कैसी चल रही है? रिम्स कैंपस के अंदर ‘दवाई दोस्त’ की दुकान चलाने की अनुमति किसने दी है? वह चैरिटेबल संस्था है, इसके क्या प्रमाण है? खंडपीठ ने यह भी सवाल किया कि पीएम केयर्स फंड से 50 वेंटिलेटर मिले थे, उनकी अद्यतन स्थिति क्या है? क्या वेंटिलेटर काम कर रहे हैं? यदि नहीं कर रहे हैं, तो उसकी सूचना संबंधित संस्थान को दी गयी है या नहीं?
बता दें कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए रिम्स में सिटी स्कैन मशीन, कैथ लैब सहित मेडिकल उपकरणों व पारा मेडिकल स्टाफ की कमी को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. इधर, हाइकोर्ट के आदेश के बाद अब रिम्स में सीटी स्कैन मशीन, कैथ लैब सहित अन्य मेडिकल उपकरणों की कमी बहुत जल्द दूर हो जायेगी.
Posted By : Samir Ranjan.