पिता-पुत्र के विवाद में झारखंड हाईकोर्ट ने किया महाभारत और वेदों का उल्लेख, जानें पूरा मामला
पिता और पुत्र के एक विवाद में फैसला सुनाते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने महाभारत और वेदों का उल्लेख किया. महाभारत का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा ‘‘पिता का स्थान स्वर्ग से ऊंचा होता है.’’ यह केस कोडरमा जिले का है. आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है?
झारखंड हाईकोर्ट ने एक पिता और पुत्र के विवाद में फैसला सुनाते हुए महाभारत और वेदों का उल्लेख किया. अदालत ने कहा कि पिता का स्थान स्वर्ग से ऊंचा होता है. एक बेटे का माता-पिता के प्रति कर्तव्य होता है. मामले की सुनवाई झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुभाष चंद की अदालत में हो रही थी. सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सुभाष चंद ने महाभारत में वर्णित यक्ष के प्रश्नों पर युधिष्ठिर के उत्तरों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि महाभारत में पांडवों में सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर ने कहा था कि “पिता का स्थान स्वर्ग से ऊंचा है”.
क्या है पूरा मामला
मामला कोडरमा जिले का है, जहां 60 वर्षीय देवकी साव अपने बड़े बेटे के साथ रहते हैं. उन्होंने अपने खेतों को दोनों बेटों में समान रूप से बांट दिया था. हाल ही में देवकी साव ने जिले के ही कुटुम्ब अदालत (कोडरमा फेमिली कोर्ट) में एक याचिका दायर की थी. याचिका के माध्यम से उन्होंने अपने छोटे बेटे मनोज साव से गुजारा-भत्ता दिलाने का अनुरोध किया था. कोडरमा की फेमिली कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए मनोज को निर्देश दिया कि वह अपने पिता को प्रति महीने 3000 रुपये गुजारा-भत्ता दें. हालांकि मनोज ने ऐसा नहीं किया और फेमिली कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दे दी. कोडरमा फेमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए मनोज ने दावा किया कि उसके पिता की आय के कई स्रोत हैं. इसी मामले में झारखंड हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति चंद ने कहा कि एक बेटे का कर्तव्य होता है कि वह अपने माता-पिता की देखभाल करे.
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