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नक्शा पास करने पर झारखंड हाईकोर्ट की रोक, कहा : क्यों न नगर निगम व RRDA के भ्रष्टाचार की CBI जांच हो

खंडपीठ ने मौखिक कहा कि इन संस्थानों में भ्रष्टाचार व्याप्त है. भ्रष्टाचार रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. क्यों नहीं नगर आयुक्त शशिरंजन व आरआरडीए उपाध्यक्ष मुकेश कुमार को निलंबित कर दिया जाये और मामले की जांच सीबीआइ से करायी जाये

झारखंड हाइकोर्ट ने रांची नगर निगम व रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) में नक्शा पास करने के लिए 20 से लेकर 30 रुपये प्रति वर्गफीट अवैध राशि वसूली के मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की. कोर्ट ने नगर निगम व आरआरडीए में नक्शा स्वीकृत करने की प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी. जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए रांची नगर निगम के नगर आयुक्त व आरआरडीए के उपाध्यक्ष की कार्यशैली पर फटकार लगायी.

खंडपीठ ने मौखिक कहा कि इन संस्थानों में भ्रष्टाचार व्याप्त है. भ्रष्टाचार रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. क्यों नहीं नगर आयुक्त शशिरंजन व आरआरडीए उपाध्यक्ष मुकेश कुमार को निलंबित कर दिया जाये और मामले की जांच सीबीआइ से करायी जाये. खंडपीठ ने मुख्य सचिव से पूछा कि प्रभात खबर में 29 नवंबर को 20-30 रुपये प्रति वर्गफीट चढ़ावा, तब पास होता है नक्शा शीर्षक से प्रकाशित खबर पर राज्य सरकार ने क्या कार्रवाई की है.

भ्रष्टाचार के खिलाफ एक्शन क्यों नहीं लिया गया. क्यों नहीं आरआरडीए व रांची नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी जैसे सीबीआइ से करायी जाये. मामले की सुनवाई के दाैरान खंडपीठ ने कई तल्ख टिप्पणियां की. खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि कोर्ट सब कुछ समझता है. हमें न बताया जाये कि क्या गलत है. नक्शा पास करने के खेल में होनेवाले भ्रष्टाचार को हर हाल में रोकना होगा. नक्शा पास करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता क्यों नहीं है. खंडपीठ ने उक्त टिप्पणी तब की, जब प्रतिवादियों की ओर से अधिवक्ता प्रकाशित खबर को गलत व झूठ बता रहे थे.

खंडपीठ ने कहा कि जो स्वीकृत पद खाली हैं, उन पर नियुक्तियां क्यों लंबित है. खंडपीठ ने कहा कि नक्शा पास करने के दाैरान आनेवाली आपत्तियों को देखने के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित की जाये. खंडपीठ ने आरआरडीए व रांची नगर निगम को एक जनवरी 2022 से लेकर 30 नवंबर 2022 तक के दाैरान किसी आपत्ति के आधार पर लाैटाये गये नक्शों, लंबित नक्शों के बारे में विस्तृत जानकारी (टेबुलर चार्ट में) देने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने सात दिसंबर की तिथि निर्धारित की.

मामले की सुनवाई के दाैरान नगर आयुक्त शशिरंजन व आरआरडीए उपाध्यक्ष मुकेश कुमार सशरीर उपस्थित थे. इससे पूर्व मामले की सुनवाई के दाैरान खंडपीठ ने आरआरडीए व नगर निगम को कार्यरत जूनियर इंजीनियर व टाउन प्लानर का ब्योरा सुनवाई के दूसरे सत्र में पेश करने का निर्देश दिया. माैखिक रूप से कहा कि आरआरडीए में 1982 के बाद से कोई स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है. नगर निगम में भी विगत 20 वर्षों से नियुक्तियां नहीं की गयी है. कांट्रैक्ट बेसिस पर नियुक्त कर काम कराया जा रहा है.

उल्लेखनीय है कि भवनों के नक्शा स्वीकृति के लिए निर्धारित शुल्क के अलावा अवैध राशि की मांग की जाती है. अवैध राशि नहीं देने पर नक्शा स्वीकृत नहीं किया जाता है. नक्शा लंबित रहता है. छोटा मकान के लिए 30 से पचास हजार तथा अपार्टमेंट का नक्शा पास करने के लिए 20-30 रुपये प्रति वर्ग फीट राशि वसूला जाता है. प्रभात खबर में अवैध वसूली को लेकर प्रकाशित खबर को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे रिट याचिका में तब्दील कर दिया है.

हाइकोर्ट ने कहा

1. नगर आयुक्त व आरआरडीए उपाध्यक्ष ने भ्रष्टाचार पर कोई कार्रवाई नहीं की, इन्हें क्यों नहीं निलंबित कर दिया जाये

2. राज्य सरकार से पूछा : प्रभात खबर में 29 नवंबर को छपी खबर – 20-30 रुपये प्रति वर्गफीट चढ़ावा, तब पास होता है नक्शा – पर क्या कार्रवाई की

3. नक्शा पास करने के दाैरान आनेवाली आपत्तियों को देखने के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित की जाये

4. एक जनवरी 2022 से लेकर 30 नवंबर 2022 तक लाैटाये गये नक्शों और लंबित नक्शों की विस्तृत जानकारी दें

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