झारखंड हाईकोर्ट ने रिम्स में इलाज की दयनीय स्थिति पर जतायी चिंता, कहा- स्टॉक खत्म होने से पहले दवा खरीदे
झारखंड हाईकोर्ट ने इलाज की लचर व्यवस्था पर पर कहा है कि प्रबंधन को चाहिए कि स्वास्थ्य सामग्रियों का ध्यान रखें. प्रबंधन मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए हर संभव उपाय करें. उन्होंने कहा कि दवा की स्टॉक खत्म होने से पहले ही मंगा लेना चाहिए.
झारखंड हाइकोर्ट ने रिम्स में इलाज की दयनीय स्थिति व मेडिकल सामग्री की कमी को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए रिम्स प्रबंधन को कार्यशैली पर फटकार लगायी. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने माैखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि सिर्फ आपूर्ति का आदेश जारी करने से नहीं होगा, सामग्रियों की खरीदारी हुई अथवा नहीं इसका भी ध्यान रखना होगा.
खंडपीठ ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति का जीवन कीमती है. रिम्स प्रबंधन मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए हर संभव उपाय करे. कॉटन, बैंडेज, सिरिंज सहित सभी प्रकार की दवाअों का स्टॉक खत्म होने के पहले ही मंगा लिया जाना चाहिए, ताकि इसकी कमी नहीं हो पाये. हमेशा उसकी उपलब्ध बनी रहे.
खंडपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि रिम्स निदेशक सभी प्रकार की दवाअों की उपलब्धता को लेकर शपथ पत्र दायर करें. सभी जांच रिम्स में ही हो, यह सुनिश्चित किया जाये. बाहर के जांच घरों की दुकानदारी नहीं चलायें. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 14 अक्तूबर की तिथि निर्धारित की.
मामले की सुनवाई के दाैरान रिम्स के निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद उपस्थित हुए. इससे पूर्व रिम्स की ओर से अधिवक्ता डॉ अशोक कुमार सिंह ने खंडपीठ को बताया कि एक्स-रे प्लेट सहित अन्य जरूरी सामान उपलब्ध करा दिया गया है. उल्लेखनीय है कि रिम्स की दयनीय स्थिति को गंभीरता से लेते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने उसे जनहित याचिक में तब्दील कर दिया था.