झारखंड हाइकोर्ट ने साहिबगंज से कटिहार तक गंगा नदी में मालवाहक जहाज (फेरी) के परिचालन की अनुमति नहीं देने के मामले में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद के खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान सशरीर उपस्थित कटिहार के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) उदयन मिश्र की लिखित माफी व जवाब को देखते हुए अवमानना का मामला समाप्त कर दिया.
इससे पूर्व डीएम उदयन मिश्र की ओर से लिखित जवाब दायर किया गया. उन्होंने खंडपीठ ने माफी मांगते हुए कहा कि वह दो सप्ताह के अंदर कोर्ट के आदेश का अनुपालन कर देंगे. राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने पैरवी की. पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने साहिबगंज के उपायुक्त के शोकॉज को देखते हुए उन्हें सशरीर उपस्थिति से छूट प्रदान की थी. साहिबगंज के उपायुक्त की ओर से जवाब दायर कर बताया गया था कि कोर्ट के आदेश का अनुपालन कर दिया गया है.
इसलिए उनके खिलाफ अवमानना का मामला नहीं बनता है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी मेसर्स जय बजरंग बली स्टोन वर्क्स की ओर से प्रकाशचंद्र यादव ने अवमानना याचिका दायर की थी. प्रार्थी की याचिका पर 22 सितंबर 2022 को सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने साहिबगंज से कटिहार तक गंगा नदी में मालवाहक जहाज के परिचालन की अनुमति नहीं देने के मामले में कटिहार डीएम व साहिबगंज के उपायुक्त के खिलाफ शोकॉज नोटिस जारी किया था. पूछा था कि क्यों नहीं आपके खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाये.
रांची. हाइकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी ज्ञान प्रकाश सरावगी की जमानत याचिका खारिज कर दी है. वह बैंक ऑफ इंडिया से अपने कर्मचारियों के नाम पर कर्ज लेने और उस कर्ज को दूसरे काम में इस्तेमाल करने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जेल में है. इडी ने मामले की जांच में पाया था कि ज्ञान प्रकाश सरावगी पांच-पांच कंपनियों के निदेशक हैं. इसमें से कई कंपनियों में उसके कर्मचारी ही निदेशक हैं.
सरावगी बंधुओं ने कपड़ा के व्यापार के नाम पर बैंक से कर्ज लिया. इसके बाद कागजी तौर पर कपड़े का व्यापार किया. इसके बाद बैंक से लिये गये कर्ज की रकम को सरावगी बिल्डर्स के खाते में ट्रांसफर किया और बैंक का कर्ज नहीं लौटाया. मामले की जांच के बाद इडी ने ज्ञान प्रकाश सरावगी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.