अवैध वसूली को देखते हुए नक्शा की प्रक्रिया जांचने के लिए हाईकोर्ट ने बनायी ने छह अधिवक्ताओं की समिति
समिति 21 दिसंबर को शाम 5.30 बजे नक्शा पास करने से संबंधित आरआरडीए व रांची नगर निगम में लागू सॉफ्टवेयर का अवलोकन करेगी. नक्शा पास करने से संबंधित विभिन्न प्रक्रियाओं का अवलोकन कर समिति अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट को इससे अवगत करायेगी
Jharkhand News: झारखंड हाइकोर्ट ने रांची नगर निगम व रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) में नक्शा पास करने के नाम पर अवैध वसूली को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज याचिका पर सुनवाई की. खंडपीठ ने जानना चाहा कि जब ऑनलाइन नक्शा पास करने का सॉफ्टवेयर लागू है और उसी के माध्यम से नक्शा स्वीकृत किया जाता है, तो फिर विलंब क्यों और कैसे होता है. बार-बार आपत्ति के नाम पर नक्शा को क्यों लंबित रखा जाता है. नक्शा पास करने में होनेवाली अवैध वसूली को गंभीरता से लेते हुए खंडपीठ ने छह अधिवक्ताओं की समिति बनायी है.
समिति 21 दिसंबर को शाम 5.30 बजे नक्शा पास करने से संबंधित आरआरडीए व रांची नगर निगम में लागू सॉफ्टवेयर का अवलोकन करेगी. नक्शा पास करने से संबंधित विभिन्न प्रक्रियाओं का अवलोकन कर समिति अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट को इससे अवगत करायेगी. समिति में अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार, आरआरडीए के अधिवक्ता प्रशांत कुमार सिंह, नगर निगम के अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव, एमीकस क्यूरी अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा, अधिवक्ता वंदना सिंह व अधिवक्ता पीएएस पति को शामिल किया गया है.
जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने आरआरडीए व रांची नगर निगम द्वारा नक्शा स्वीकृति पर पूर्व में लगायी गयी रोक को बरकरार रखा है. मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होगी. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि नक्शा स्वीकृति में होनेवाले विलंब व वसूली की जांच को लेकर गठित तीन सदस्यों की समिति की जांच जारी है.
उल्लेखनीय है कि भवनों का नक्शा स्वीकृत करने के लिए निर्धारित शुल्क के अलावा अवैध राशि की मांग की जाती है. अवैध राशि नहीं देने पर नक्शा स्वीकृत नहीं किया जाता है, उसे लंबित रखा जाता है. छोटे मकान के लिए 30 से 50 हजार तथा अपार्टमेंट का नक्शा पास करने के लिए प्रति वर्गफीट 20-30 रुपये तक की वसूली की जाती है.