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राज्य की व्यावसायिक जीवन रेखा है NH-33, सभी सुरक्षा मानकों के साथ निर्माण जल्द पूरी हो : झारखंड हाइकोर्ट

आज हम संतोष की भावना के साथ कह सकते हैं कि वर्ष 2011-12 में रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) के विस्तार और निर्माण का कार्य शुरू किया गया था, वह पूरा होने के करीब पहुंच गया है

आज हम संतोष की भावना के साथ कह सकते हैं कि वर्ष 2011-12 में रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) के विस्तार और निर्माण का कार्य शुरू किया गया था, वह पूरा होने के करीब पहुंच गया है. एनएच-33 को राज्य की व्यावसायिक जीवन रेखा माना जाता है. पूर्व में पारित आदेशों में भी विशेष रूप से एनएच-33 के महत्वों का उल्लेख किया गया है.

हमें आशा और विश्वास है कि नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) और राज्य के अधिकारी यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि विस्तारित समय रेखा के अंदर राजमार्ग का पूरी तरह से निर्माण हो सके. आनेवाले समय में भी इस राजमार्ग को ठीक से बनाये रखा जायेगा. उक्त टिप्पणी झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस अनिल कुमार चाैधरी की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर विगत दिनों सुनवाई के दाैरान की.

मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 दिसंबर की तिथि निर्धारित की गयी. खंडपीठ ने कहा कि उपायुक्त के हलफनामे के अवलोकन से यह ऐसा प्रतीत होता है कि तारूप, गड़के, एदलहातु आदि गांवों में जरूरत की भूमि संबंधी अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है. हेसल गांव के मामले में अवार्ड तैयार करने के चरण में है. यह प्रतीत होता है कि बाधाएं स्थानीय स्तर पर हैं, जिसके लिए एनएचएआइ के अधिकारियों को जिला प्रशासन से अनुरोध करना होगा.

जहां अधिग्रहण की समस्या नहीं है, वहां स्थानीय स्तर की बाधाएं दूर करने में पुलिस व मजिस्ट्रेट की पर्याप्त तैनाती से सहायता मिलेगी. जहां अधिग्रहण की कोई समस्या है, वहां संबंधित विभागों व डीएलएओ द्वारा बिना किसी देरी के पूरा किया जाये. अगली सुनवाई के पूर्व स्टेट्स रिपोर्ट दायर की जाये. दुर्घटना रोकने को लेकर भी दिशा निर्देश दिया.

एनएच पर दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए उठाये जायेंगे कई कदम : वाहनों की तेज गति से होनेवाली सड़क दुर्घटनाओं को लेकर झारखंड हाइकोर्ट काफी चिंतित है. उस पर अंकुश लगाने के लिए हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को कई आवश्यक दिशा-निर्देश दिया था. उसके आलोक में गृह विभाग की ओर से पूरक शपथ पत्र दायर कर हाइकोर्ट को जानकारी दी गयी है. राज्य के एनएच पर तय सीमा से तेज वाहन चलाने पर जुर्माना देना होगा.

तेज वाहन चलानेवाले चालकों से अगले टोल प्लाजा अथवा चेक पोस्ट पर जुर्माना की राशि वसूल की जायेगी. दो जुलाई 2020 को सड़क सुरक्षा उपकरणों व ब्रीथ एल्कोहल एनलाइजर की खरीद के लिए चार करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया गया था. राज्य के 24 जिलों में ब्रीथ अल्कोहल एनालाइजर वितरण करते हुए विधिवत सूचित कर दिया गया है. डेसीबल मीटर वाली स्पीड लेजर गन की खरीद पूरी हो गयी है. 2021-2022 में सात करोड़ रुपये दिये गये हैं.

ब्रीथ अल्कोहल एनालाइजर, डेसिबल मीटर के साथ स्पीड लेजर गन, बॉडी वॉर्न कैमरा सिस्टम आदि खरीदा जाना है. सड़क सुरक्षा उपायों के एवज में तीन उपकरणों की खरीद जैसे कैमरा के साथ 417 ब्रीथ अल्कोहल एनालाइज़र, 190 बॉडी वॉर्न कैमरा सिस्टम और डेसिबल मीटर के साथ 46 स्पीड लेजर गन खरीदा जाना है. निविदादाताओं की तकनीकी बोलियों को अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

आइजी (संचालन)झारखंड की अध्यक्षतावाली समिति के समक्ष रिपोर्ट समीक्षा के लिए भेजी गयी है. रिपोर्ट मिलने के बाद खरीद के लिए आवश्यक कदम उठाये जायेंगे. यह भी कहा गया कि निविदा के माध्यम से 711 स्ट्रेचर खरीदे जा रहे हैं. उल्लेखनीय है कि रांची-जमशेदपुर एनएच-33 की दयनीय स्थिति को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. साथ ही फोर लेनिंग निर्माण कार्य की मॉनिटरिंग भी शुरू की थी.

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