परिवहन विभाग के अधिकारियों को झारखंड हाईकोर्ट की चेतावनी- आदेश का पालन नहीं तो भेज देंगे जेल, जानें पूरा मामला
झारखंड सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने पिटीशन दायर कर पिछले आदेश के आलोक में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह के सशरीर उपस्थिति से छूट देने का आग्रह किया गया, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया.
झारखंड हाइकोर्ट के डॉ एसएन पाठक की अदालत ने राज्य परिवहन निगम से सरकारी विभाग में समायोजित सेवानिवृत्त कर्मियों के पेंशन भुगतान के मामले में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की. अधिकारियों की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जताते हुए अदालत ने मौखिक रूप से कहा : यदि आदेश का पालन नहीं किया गया, तो अधिकारी को यहीं से जेल भेज देंगे. अदालत ने परिवहन सचिव को निर्देश दिया कि 20 दिनों के अंदर प्रार्थियों की पेंशन राशि का भुगतान सुनिश्चित करें, अन्यथा अगली सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव के साथ वह भी हाजिर रहें. अगली सुनवाई 17 मार्च को होगी.
इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने पिटीशन दायर कर पिछले आदेश के आलोक में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह के सशरीर उपस्थिति से छूट देने का आग्रह किया गया, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया. उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि इससे संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. वहीं, प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने अपील याचिका दायर कर एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी थी, जिसे खंडपीठ ने खारिज कर दिया है.
इसके बाद राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर खंडपीठ के आदेश को चुनौती दी गयी है, लेकिन इस मामले में अभी सुप्रीम कोर्ट से कोई स्टे नहीं मिला है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी शंकर प्रसाद केसरी व अन्य की ओर से अवमानना याचिका दायर कर एकल पीठ के आदेश का अनुपालन कराने की मांग की गयी है.
यह है मामला :
बिहार के बंटवारे के बाद कैडर विभाजन में झारखंड आये राज्य परिवहन निगमकर्मियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में उनका समायोजन किया गया था. जब वह सेवानिवृत्त हो गये, तो पेंशन के लिए परिवहन विभाग ने परिवहन निगम में दी गयी उनकी सेवा अवधि को नहीं जोड़ा गया. निगम में की गयी सर्विस को जोड़ते हुए पेंशन की मांग को लेकर झारखंड हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी.
एकल पीठ ने आदेश दिया था कि राज्य परिवहन निगम के समायोजित कर्मियों (सेवानिवृत्त) को परिवहन निगम में की गयी सेवा अवधि को जोड़ते हुए पेंशन भुगतान किया जाये, लेकिन राज्य सरकार ने आदेश का अनुपालन नहीं किया. इसके बाद सेवानिवृत्त कर्मियों ने अवमानना याचिका दायर की है.