केंद्र का हाईकोर्ट में शपथ पत्र- पाकुड़ और साहिबगंज में मुसलमानों की आबादी 35 फीसदी बढ़ी, NRC की जरूरत

Jharkhand High Court: केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में कहा है कि संताल परगना क्षेत्र में आदिवासियों की संख्या 42 प्रतिशत से घट कर 28 प्रतिशत हो गयी है. यह काफी गंभीर मामला है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 13, 2024 2:24 PM

रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने झारखंड के साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, गोड्डा व जामताड़ा आदि क्षेत्र में अवैध प्रवासियों (बांग्लादेशी घुसपैठिये) के प्रवेश के कारण जनसंख्या में हो रहे बदलाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ में केंद्र की ओर से शपथ पत्र दायर किया गया. केंद्र सरकार ने अपने शपथ पत्र में बताया है कि वर्ष 2011 तक संताल परगना क्षेत्र में मुसलमानों की आबादी में औसतन 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इसी अवधि में साहिबगंज व पाकुड़ में अप्रत्याशित रूप से 35 प्रतिशत मुसलमानों की आबादी में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है.

1951 से 2011 तक साढ़े चार प्रतिशत तक देश की जनसंख्या में हुई वृद्धि

इसके बाद का आंकड़ा केंद्र सरकार नहीं दे पायी है. केंद्र का कहना है कि वर्ष 1951 से 2011 तक देश में औसतन साढ़े चार प्रतिशत तक जनसंख्या में वृद्धि हुई है. वहीं संताल परगना क्षेत्र में आदिवासियों की संख्या 42 प्रतिशत से घट कर 28 प्रतिशत हो गयी है. यह काफी गंभीर मामला है. एनआरसी में घुसपैठियों की पहचान और उन्हें वापस भेजने की क्षमता है. इस क्षेत्र में एनआरसी की जरूरत है.

केंद्र सरकार ने कहा- घुसपैठियों पर कार्रवाई का अधिकार राज्य को भी

केंद्र सरकार ने कहा है कि अवैध रूप से राज्य में प्रवेश करनेवाले घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए संविधान के तहत राज्य सरकार को अधिकार दिया गया है. इसके लिए एक समिति राज्य सरकार के पास है. केंद्र ने बताया कि संताल परगना क्षेत्र में गिफ्ट डीड के माध्यम से जमीन का हस्तांतरण हुआ है. वहीं यूआइडीएआइ की ओर से जवाब दायर कर बताया गया कि आधार कार्ड कभी भी नागरिकता का आधार नहीं हो सकता है, यह सिर्फ पहचान के रूप में लोगों को चिह्नित करने जैसा है. झारखंड सरकार को जो भी सहायता चाहिए, वह केंद्र देने को तैयार है.

नहीं जुड़े सके सॉलिस्टर जनरल ऑफ इंडिया

एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा कि चूंकि यह घुसपैठ के माध्यम से जमीन कब्जे से संबंधित संवेदनशील मामला है. इसलिए इसमें गहराई में जाने की जरूरत है. मौखिक रूप से झारखंड सरकार व केंद्र सरकार से इस विषय पर जांच के लिए समिति बनाने के लिए अधिकारियों का नाम देने को कहा. इस पर महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि केंद्र सरकार के साथ बैठक करने के बाद एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाने के किसी निर्णय पर पहुंचेंगे. इसके बाद खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 सितंबर की तिथि निर्धारित की. झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई के दाैरान एक दूसरे मामले में उपस्थित मुख्य सचिव की इस मामले में भी उपस्थिति हो गयी. सुनवाई के प्रारंभ में केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया टेक्निकल फॉल्ट के कारण वर्चुअल रूप से नहीं जुड़ सके. हालांकि खंडपीठ के पिछले आदेश के आलोक में केंद्र सरकार व यूआइडीएआइ की ओर से जवाब दायर कर दिया गया, जिस पर तकनीकी कारणों से सुनवाई नहीं हो पायी. इस मामले में संताल परगना के छह जिलों के उपायुक्तों की ओर से पहले ही जवाब दायर किया जा चुका है, जिसमें बांग्लादेशी घुसपैठ से इनकार किया गया है. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पक्ष रखा. हस्तक्षेपकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने पैरवी की.

अवैध घुसपैठ व धर्मांतरण को लेकर दायर की गयी है जनहित याचिका

प्रार्थी सोमा उरांव ने जनहित याचिका दायर कर आदिवासियों के धर्म परिवर्तन का मामला उठाया है. वहीं दानियल दानिश ने जनहित याचिका दायर कर बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रवेश को रोकने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि संतालपरगना क्षेत्र के साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, गोड्डा, जामताड़ा आदि जिलों में बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी घुसपैठ हो रहा है. वहीं हस्तक्षेपकर्ता ने याचिका दायर कर बताया है कि संताल परगना क्षेत्र में डेमोग्राफी में बदलाव की समस्या काफी गंभीर हो गयी है. उस क्षेत्र में 42 प्रतिशत आदिवासियों की संख्या थी, जो घट कर 28 प्रतिशत पहुंच गयी है. घुसपैठियों के प्रवेश तथा उनके लिए वोटर आइडी, आधार कार्ड, वंशावली आदि दस्तावेज तैयार करने के लिए सिंडिकेट काम कर रहा है.

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