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निकाय चुनाव का रास्ता साफ, हाईकोर्ट में झारखंड सरकार को झटका, कहा- एकल पीठ का आदेश अवैध नहीं

Jharkhand High Court: नगर निकाय चुनाव मामले में झारखंज हाईकोर्ट ने सरकार को बड़ा झटका दिया है. उन्होंने राज्य सरकार की एकल पीठे के आदेश देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है.

रांची: झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने राज्य में नगर निगम व नगर निकाय चुनाव (Nagar Nikay Election) की तीन सप्ताह में अधिसूचना जारी करने संबंधी एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखा. साथ ही इसे चुनौती देनेवाली राज्य सरकार की अपील याचिका को खारिज कर दिया. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एकल पीठ के आदेश में कोई अवैधता नहीं दिखती है, जिसमें हस्तक्षेप करने की जरूरत है. गुरुवार को अपील याचिका पर सुनवाई एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने की. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने चार जनवरी 2024 को तीन सप्ताह में निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने को लेकर आदेश दिया था, जिसे राज्य सरकार ने अपील याचिका दायर कर चुनौती दी थी.

हाईकोर्ट ने 28 अगस्त को सुरक्षित रख लिया था फैसला

मामले में 28 अगस्त को दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इससे पूर्व मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थी राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार व अधिवक्ता गौरव राज ने खंडपीठ को बताया था कि जिलों में पिछड़े वर्ग की आबादी के आकलन की प्रक्रिया जारी है. झारखंड राज्य पिछड़ा आयोग द्वारा पिछड़े वर्ग की आबादी का आकलन किया जा रहा है. ट्रिपल टेस्ट के बाद नगर निगम व नगर निकाय का चुनाव करा लिया जायेगा. उन्होंने एकल पीठ के आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया था.

प्रतिवादी के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का दिया हवाला

वहीं, प्रतिवादी रोशनी खलखो की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने पक्ष रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशों का उदाहरण दिया था. खंडपीठ को बताया कि पांच वर्ष में चुनाव करा लिया जाना चाहिए, लेकिन राज्य सरकार ट्रिपल टेस्ट का बहाना बना कर नगर निगम व नगर निकाय चुनाव टाल रही है. यह संवैधानिक मिशनरी की विफलता है. उन्होंने एकल पीठ के आदेश को सही बताते हुए कहा कि समय पर चुनाव नहीं कराने व चुनाव को रोकने से लोकतांत्रिक व्यवस्था प्रभावित हो रही है. उल्लेखनीय है कि एकल पीठ ने चार जनवरी 2024 को रिट याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार को आदेश दिया था कि नगर निकाय चुनाव कराने के लिए तीन सप्ताह के अंदर अधिसूचना जारी की जाये.

चुनाव लोकतंत्र व्यवस्था की आत्मा है : हाईकोर्ट

खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि संविधान के 74वें संशोधन में स्थानीय स्वशासन का उल्लेख है. उसी के आलोक में निकायों का गठन किया गया है. लोकतंत्र की अवधारणा है, ‘जनता का, जनता के लिए व जनता के द्वारा शासित प्रणाली’, लेकिन उसका यहां पालन नहीं हो रहा है. चुनाव लोकतंत्र की आत्मा है. खंडपीठ ने कहा कि एकल पीठ के आदेश में ऐसी कोई अवैधता नहीं दिखती है, जिसमें हस्तक्षेप करने की जरूरत है. इसलिए राज्य सरकार की अपील याचिका को खारिज किया जाता है.

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