रांची (राणा प्रताप) : झारखंड विधानसभा (Jharkhand Vidhan Sabha) में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता देने के मामले में आ रही अड़चनों पर भाजपा और मरांडी की याचिका पर झारखंड हाइकोर्ट (Jharkhand High Court) में मंगलवार (15 दिसंबर, 2020) को सुनवाई हुई. जस्टिस राजेश शंकर ने दोनों को संशोधित याचिका दायर करने के निर्देश दिये और रजिस्ट्री से कहा कि उनकी संशोधित याचिका को खंडपीठ (सक्षम बेंच) को रेफर करें.
दरअसल, बाबूलाल मरांडी को भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया था और इस नाते उन्हें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा मिलना चाहिए था. लेकिन, विधानसभा के अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने उनकी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) के भाजपा में विलय पर स्वत: संज्ञान लेते हुए उन्हें अपने इजलास में बुलाया था. बाबूलाल मरांडी ने इस नोटिस को चुनौती दी है. हालांकि, उनकी याचिका में स्पीकर के स्वत: संज्ञान लेने के अधिकार को चुनौती नहीं दी.
इसलिए जस्टिस राजेश शंकर ने उन्हें संशोधित याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया. भाजपा और बाबूलाल मरांडी की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए जस्टिस शंकर ने रजिस्ट्री को आदेश दिया कि जब संशोधित याचिका उसके पास आ जाये, तो उसे खंडपीठ (सक्षम बेंच) को रेफर कर दें. बाबूलाल की पैरवी सीनियर एडवोकेट आरएन सहाय ने की, जबकि सुप्रीम कोर्ट के वकील आर वेंकटरमन ने भाजपा का पक्ष कोर्ट के समक्ष रखा.
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उल्लेखनीय है कि नवंबर, 2019 में झारखंड विधानसभा चुनाव में बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम के टिकट पर तीन लोग (बाबूलाल मरांडी, बंधु तिर्की और प्रदीप यादव) विधायक चुने गये थे. चुनाव के बाद मरांडी ने जेवीएम का विलय भाजपा में कर दिया, तो पार्टी के दो विधायकों बंधु तिर्की और प्रदीप यादव ने इसी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया. बंधु और प्रदीप कांग्रेस में शामिल हो गये, जबकि बाबूलाल भाजपा में.
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चुनाव आयोग ने भाजपा के जेवीएम में विलय को मंजूरी दे दी, लेकिन झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा अब तक नहीं दिया है. स्पीकर ने पार्टी के विलय को दलबदल का मामला माना और इसलिए मरांडी के लिए विधानसभा में भाजपा विधायकों से अलग सीट अलॉट किया.
स्पीकर की इस कार्रवाई को भाजपा और बाबूलाल ने नियम विरुद्ध बताते हुए उनके नोटिस को चुनौती दी है. दूसरी ओर, भाजपा का कहना है कि उसके विधायकों ने जिस व्यक्ति को अपना नेता चुना है, उसे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा मिलना चाहिए.
Posted By : Mithilesh Jha