झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस गाैतम कुमार चाैधरी की अदालत ने एसटी-एससी अधिकारियों व कर्मियों को सामान्य कैटेगरी के पदों पर प्रोन्नति देने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दाैरान अदालत ने प्रार्थी व प्रतिवादी का पक्ष सुना. इसके बाद माैखिक रूप से कहा कि जब रोक थी, तो प्रोन्नति नहीं दी जानी चाहिए थी. अदालत ने कार्मिक द्वारा जारी तीन जून 2022 के प्रोन्नति से संबंधित आदेश पर रोक लगा दी. साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए पांच दिसंबर की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता साैरभ शेखर, अधिवक्ता मनोज टंडन ने पक्ष रखा.
अधिवक्ता साैरभ शेखर ने अदालत को बताया कि कार्मिक विभाग द्वारा प्रोन्नति से संबंधित जारी पत्र न्यायसंगत नहीं है. तत्कालीन प्रधान सचिव वंदना दाडेल ने पत्र के माध्यम से आरक्षण पॉलिसी को बदल दिया है, जो गलत है.
पहले कोर्ट ने पत्र पर स्टे लगाया था, लेकिन उसे आगे नहीं बढ़ाया था. इस कारण बहुत सारे रिजर्व कोटि के कर्मियों को सामान्य कोटि के पदों पर प्रोन्नति दे दी गयी है. इस कारण सामान्य कोटि के कर्मियों को अपने कोटि में प्रोन्नति नहीं मिल पा रही है. उन्होंने बताया कि सभी कोटि का अपना सीट निर्धारित है. रोस्टर के हिसाब से प्रोन्नति होती है. सामान्य कैटेगरी के पदों पर भी एसटी-एससी को प्रोन्नति दी जायेगी, तो सामान्य कोटि के कर्मियों का क्या होगा. उन्होंने कार्मिक के पत्र को निरस्त करने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अनिल कुमार व अन्य की ओर से अलग-अलग याचिका दायर की गयी है.
क्या कहा गया है पत्र में
कार्मिक विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव वंदना दाडेल के हस्ताक्षर से तीन जून 2022 को निर्गत आदेश में कहा गया है कि एसटी, एससी कैटेगरी के अधिकारियों-कर्मियों को वरीयता के आधार पर सामान्य कैटेगरी के पदों पर भी प्रोन्नति दी जा सकेगी. प्रोन्नति देने के दाैरान यह नहीं देखा जायेगा कि उसकी नियुक्ति मेरिट से हुई है अथवा वह प्रोन्नति से आया है.