झारखंड हाईकोर्ट का सरकार से सवाल : PGT परीक्षा में आंसर की जबलिंग क्यों की गयी

अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पैरवी करते हुए अदालत को बताया कि जेएसएससी ने सीबीटी मोड़ में परीक्षा ली थी. परीक्षा के बाद औपबंधिक आंसर की जारी कर अभ्यर्थियों से आपत्ति मांगी गयी थी. आपत्ति मिलने के बाद फाइनल आंसर की जारी की गयी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 16, 2024 5:10 AM

रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक (पीजीटी) संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा-2023 में आंसर की जबलिंग करने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने प्रार्थी का पक्ष सुना. इसके बाद अदालत ने राज्य सरकार व झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) से पूछा कि परीक्षा के आंसर की जबलिंग क्यों की गयी. अदालत ने अभ्यर्थियों के डिजिटल डेटा को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया. अदालत ने शपथ पत्र के माध्यम से दोनों प्रतिवादियों को चार सप्ताह के भीतर जवाब दायर करने का निर्देश दिया. साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए चार सप्ताह के बाद की तिथि निर्धारित करने को कहा.

इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पैरवी करते हुए अदालत को बताया कि जेएसएससी ने सीबीटी मोड़ में परीक्षा ली थी. परीक्षा के बाद औपबंधिक आंसर की जारी कर अभ्यर्थियों से आपत्ति मांगी गयी थी. आपत्ति मिलने के बाद फाइनल आंसर की जारी की गयी. इस पर भी कई प्रश्नों के उत्तर गलत पाये गये. बाद में जेएसएससी ने संशोधित फाइनल आंसर की व रिस्पांस शीट जारी की, जिस पर अभ्यर्थियों ने आपत्ति जतायी थी और आंसर की जबलिंग करने का विरोध किया था.

अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने बताया कि जबलिंग के कारण अधिक अंक लानेवाले अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो पाया है. जेएसएससी द्वारा प्रकाशित रिजल्ट में भारी गड़बड़ी है. बोकारो के एक सेंटर श्रेया डिजिटल पर परीक्षा देनेवाले अभ्यर्थी बड़ी संख्या में सफल घोषित किये गये हैं, जो गड़बड़ी की और इशारा करता है. वहीं, जेएसएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरावाल ने प्रार्थी की दलील का विरोध किया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अजय कुमार महथा व अन्य की ओर से याचिका दायर की गयी है. उन्होंने आंसर की जबलिंग का विरोध किया है तथा रिजल्ट में सुधार करने की मांग की है.

क्या है जबलिंग

अभ्यर्थियों द्वारा उत्तर के रूप में चुने गये विकल्प को रिस्पांस शीट में इधर-उधर (बिना क्रम के) कर दिया गया. इसका परिणाम यह हुआ कि अभ्यर्थियों द्वारा सही विकल्प चुनने के बावजूद उनके दर्जनों उत्तर को गलत बताया गया. जब अभ्यर्थियों ने विरोध किया, तो कार्रवाई की बात कही गयी, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाया गया और कई विषयों का रिजल्ट भी जारी कर दिया गया.

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