रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने झारखंड में तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस के संक्रमण मामलों के बीच लॉकडाउन के नियमों का पालन सख्ती से नहीं कराये जाने पर नाराजगी जतायी है. हाइकोर्ट ने राज्य शुक्रवार (10 जुलाई, 2020) को सरकार को निर्देश दिया कि वह इसका सख्त अनुपालन सुनिश्चित कराये.
झारखंड हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन और सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने कोरोना वायरस संक्रमण पर एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिये. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप 31 जुलाई तक लॉकडाउन बढ़ाया है. इसका पालन करने के निर्देश के साथ लोगों को कुछ रियायतें दी हैं, लेकिन अधिकतर लोग कोई सावधानी नहीं बरत रहे हैं.
कोर्ट ने कहा, ‘जो भी नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाये.’ झारखंड में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या में हाल के दिनों में तेजी से वृद्धि हुई है और इससे मरने वालों की संख्या में पिछले एक माह में अपेक्षाकृत काफी तेजी आयी है. वर्तमान में राज्य में कोरोना वायरस से जहां कुल 3,268 लोग संक्रमित पाये गये हैं, वहीं इस संक्रमण से 23 लोगों की मौत हो चुकी है.
खंडपीठ ने सरकार से कहा कि लॉकडाउन राज्य में 31 जुलाई तक जारी है और लोगों को सावधानी बरतने के निर्देश जारी किये गये हैं. लेकिन बाजारों, दुकानों, सार्वजनिक स्थलों पर लोगों की भीड़ जमा हो रही है. कहीं भी सामाजिक दूरी के नियमों का पालन नहीं हो रहा है.
कोर्ट ने टिप्पणी की कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जिन दुकानों को खोलने की छूट नहीं मिली है, वे भी खुल रही हैं. राज्य में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच ऐसी लापरवाही खतरनाक है. सरकार और सभी अधिकारियों को इसके प्रति गंभीर होना होगा. अदालत ने कहा कि सरकार के साथ हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि इस लड़ाई में वह शामिल हो और इसके लिए उसे नियमों का पालन करना होगा और संक्रमण को रोकना होगा.
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बताया कि नियमों का पालन कराने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है. लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है. नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है. राज्य सरकार ने बताया कि कोरोना जांच में भी तेजी लायी गयी है. जल्द ही पलामू, दुमका और हजाराबीग में भी जांच की प्रयोगशालाएं खुल जायेंगी.
सुनवाई के दौरान मामले में पीठ की ओर से नियुक्त न्यायालय मित्र ने सरकार के जवाब पर सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि राज्य में जांच की रफ्तार धीमी है. अब भी 5,700 जांच लंबित हैं और रिपोर्ट नहीं आयी है. इस पर पीठ ने कहा कि बिना तथ्यों के ऐसी बात कहना उचित नहीं है.
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पीठ ने न्यायालय मित्र को कहा कि यदि उन्हें प्रतीत होता है कि जांच की रफ्तार धीमी है, तो तथ्यों के साथ और दूसरे राज्यों की जांच की रफ्तार के साथ तुलनात्मक रिपोर्ट मामले की सुनवाई की अगली तिथि 31 जुलाई को पेश करें.
Posted By : Mithilesh Jha