झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस राजेश कुमार की अदालत ने हाइकोर्ट जा रही महिला अधिवक्ता की स्कूटी के दुर्घटना मामले में उनके आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज नहीं करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दाैरान प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने रांची पुलिस की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जतायी. फटकार लगाते हुए पूछा कि लिखित आवेदन देने के बाद भी प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गयी. जब घटना सुबह में हुई थी, गाड़ी भी जब्त की गयी थी, तो रात में सीजर क्यों दिखायी गयी. अदालत ने महिला अधिवक्ता की गाड़ी को तुरंत पर्सनल बांड पर आज ही छोड़ने का निर्देश दिया. साथ ही शिकायतकर्ता महिला अधिवक्ता के आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया.
मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह में होगी. मामले की सुनवाई के दाैरान सिटी एसपी व धुर्वा थाना प्रभारी सशरीर उपस्थित थे. इससे पूर्व प्रार्थी एडवोकेट एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता नवीन कुमार ने बताया कि महिला अधिवक्ता प्रोजेक्ट बिल्डिंग रोड से हाइकोर्ट जा रही थी. बिना नंबर की एक मोटरसाइकिल पर तीन लोग सवार थे. वह सड़क पर गिर पड़े. बचाव में महिला अधिवक्ता की स्कूटी खेत में चली गयी. किसी प्रकार महिला अधिवक्ता को वहां से निकाला गया. इस दाैरान धुर्वा पुलिस मूक दर्शक बनी रही.
पुलिस ने कहा कि आप जाइए, आपकी गाड़ी थाना में रहेगी. शाम को लेकर जा सकती हैं. शाम में पुलिस ने बताया कि आप पारस हॉस्पिटल जाकर दूसरी पार्टी से समझाैता कर लीजिए. महिला अधिवक्ता ने लिखित आवेदन देकर प्राथमिकी दर्ज करने का आग्रह किया, लेकिन धुर्वा पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की. गाड़ी भी नहीं दी. इसके बाद मामले को एक्टिंग चीफ जस्टिस की खंडपीठ में रखा गया. इसके बाद एडवोकेट एसोसिएशन ने क्रिमिनल रिट याचिका दायर की, जिसकी सुनवाई एकल पीठ द्वारा की गयी.