झारखंड हाइकोर्ट ने वर्ष 2018 में हुए दो जून को रिम्स के जूनियर डॉक्टरों व नर्सों की हड़ताल के दौरान 28 मरीजों की मौत के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से जांच समिति गठित करने की जानकारी दी गयी. राज्य सरकार के जवाब को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि एक सदस्यीय समिति तीन माह के अंदर जांच पूरी कर मंतव्य के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करे.
रिम्स प्रबंधन को एक सदस्यीय समिति को जांच में सहयोग करने और रिम्स में कार्यालय सहित अन्य संसाधन उपलब्ध कराने को कहा गया. साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 17 अगस्त की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि कोर्ट के निर्देश पर सेवानिवृत्त प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश सज्जन कुमार दुबे की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच समिति बनायी गयी है, जो पूरे मामले की जांच करेगी. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता मुख्तार खान ने पैरवी की.
जांच समिति गठन के संबंध में सरकार के विशेष सचिव आलोक त्रिवेदी ने अधिसूचना जारी कर दी है. समिति के अध्यक्ष को रिम्स प्रशासन की ओर से प्रतिमाह डेढ़ लाख रुपये का भुगतान किया जायेगा. समिति के अध्यक्ष को प्रधान जिला न्यायाधीश के समतुल्य यात्रा भत्ता एवं अन्य सुविधाएं देय होगी. समिति के लिए रिम्स प्रशासनिक भवन में कमरा आवंटित किया जायेगा.
एक जून 2018 को रिम्स में एक मरीज की मौत गलत इलाज की वजह से हो गयी थी. मरीज के परिजनों ने विरोध किया. इसके बाद परिजनों व जूनियर डॉक्टरों के बीच झड़प हो गयी. इस घटना के विरोध में दो जून 2018 को जूनियर डॉक्टर और नर्स हड़ताल पर चले गये. हड़ताल के दौरान रिम्स में इलाज की सारी व्यवस्था ध्वस्त हो गयी थी.
लगभग 35 मरीजों का ऑपरेशन नहीं हो पाया. 600 से अधिक मरीज बिना इलाज के वापस लाैट गये, जबकि इसी दौरान इलाज के अभाव में रिम्स में भर्ती 28 मरीजों की माैत हो गयी. मामले को लेकर कोतवाली थाना में जिम्मेवार जूनियर डॉक्टरों व नर्सों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी.