दुमका के मसानजोर डैम के प्रशासनिक नियंत्रण के मामले में केंद्र व राज्य सरकार निकालें समाधान : झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने दुमका में मयूराक्षी नदी पर बने मसानजोर डैम के प्रशासनिक नियंत्रण के मामले को शीघ्र निबटाने का निर्देश केंद्र और राज्य सरकार का दिया है. गोड्डा के सांसद डॉ निशिकांत दुबे की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे निष्पादित कर दिया.

By Prabhat Khabar News Desk | April 25, 2023 2:50 AM

Jharkhand News: झारखंड हाइकोर्ट ने दुमका में मयूराक्षी नदी पर बने मसानजोर डैम के पानी, निर्मित बिजली व उसके प्रशासनिक नियंत्रण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थी, केंद्र सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार व झारखंड सरकार का पक्ष सुना. मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने मामले को यह कहते हुए निष्पादित कर दिया कि केंद्र सरकार व राज्य सरकार इस विवाद का शीघ्र समाधान निकालें.

केंद्र और राज्य सरकार जल्द उठाये कदम

राज्य सरकार ने जल विवाद ट्रिब्यूनल के गठन को लेकर केंद्र सरकार को लिखा है, इसलिए केंद्र उस पर जल्द से जल्द कार्रवाई करे तथा राज्य सरकार भी शीघ्र कदम उठाये. इससे पूर्व पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कोलकाता हाइकोर्ट के अधिवक्ता ने पक्ष रखते हुए कहा कि यह याचिका मेंटनेबल नहीं है. दो राज्यों के बीच पानी का विवाद है. इसलिए कानून के अनुसार भारत सरकार को ट्रिब्यूनल बनाना होगा. वहीं राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने बताया कि वर्ष 2022 में ट्रिब्यूनल बनाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है.

विस्थापित हुए झारखंड के लोग, पर लाभ उनको नहीं

वहीं, प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने बताया कि 16,650 एकड़ में डैम फैला हुआ है. यह बांध 155 फीट ऊंचा और 2170 फीट लंबा है. इसका निर्माण 1955 में हुआ था. झारखंड के लोगों को विस्थापित कर इसका निर्माण किया गया है, लेकिन इसका लाभ झारखंड के लोगों को नहीं मिलता है. डैम का प्रशासनिक नियंत्रण झारखंड को सौंपा जाये.

Also Read: झारखंड : सीबीआई कोर्ट ने 100 करोड़ के मिड डे मिल घोटाले के आरोपी संजय तिवारी की डिस्चार्ज पिटीशन खारिज की

गोड्डा सांसद ने दायर की थी जनहित याचिका

वर्ष 1978 में एकीकृत बिहार और पश्चिम बंगाल के बीच एग्रीमेंट हुआ था, जिसके अनुसार मसानजोर डैम से एकीकृत बिहार (अब झारखंड) के दुमका सहित अन्य जिलों में सिंचाई के लिए पानी दिया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है. केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी गोड्डा के सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने जनहित याचिका दायर की थी.

Next Article

Exit mobile version