झारखंड हाईकोर्ट ने कहा- रजिस्टर्ड डीड रद्द करने का अधिकार डीसी को नहीं, सरकार का आदेश अवैध
अदालत ने गुरुवार को उक्त फैसला सुनाते हुए सेल डीड निरस्त करने से संबंधित उपायुक्त के आदेश को चुनाैती देनेवाली 33 याचिकाओं को स्वीकार कर लिया. पूर्व में 28 नवंबर 2023 को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
रांची : झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस गाैतम कुमार चाैधरी की अदालत ने रजिस्टर्ड सेल डीड के मामले में राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2016 में उपायुक्तों को दिये गये अधिकार को निरस्त कर दिया है. अदालत ने कहा है कि रजिस्टर्ड डीड रद्द करने का अधिकार उपायुक्तों को नहीं है. अदालत ने कहा, राज्य सरकार ने उपायुक्तों को पत्र के माध्यम से जो अधिकार दिया था, वह गलत है. यह विधिसम्मत नहीं है. इस अधिकार के तहत उपायुक्तों द्वारा रजिस्टर्ड डीड रद्द करने का जो आदेश पारित किया गया है, वह भी अवैध है. इतना ही नहीं, देवघर के उपायुक्त द्वारा रजिस्टर्ड डीड के मामले में गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे की पत्नी (प्रार्थी) अनामिका गाैतम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का जो आदेश दिया गया था, वह भी गलत है.
अदालत ने गुरुवार को उक्त फैसला सुनाते हुए सेल डीड निरस्त करने से संबंधित उपायुक्त के आदेश को चुनाैती देनेवाली 33 याचिकाओं को स्वीकार कर लिया. पूर्व में 28 नवंबर 2023 को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इससे पूर्व मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव व अधिवक्ता पार्थ जालान ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया था कि श्यामगंज मौजा देवघर की उनकी जमीन का सेल डीड देवघर उपायुक्त ने रद्द कर दिया है. जमीन की रजिस्ट्री होने के बाद डीड को निरस्त करने का अधिकार उपायुक्त को नहीं है. उपायुक्त रजिस्टर्ड डीड को निरस्त नहीं कर सकता है. यह अधिकार सिविल कोर्ट को है. राज्य सरकार ने बिना एक्ट में संशोधन किये वर्ष 2016 में एक पत्र के माध्यम से रजिस्टर्ड डीड रद्द करने का अधिकार उपायुक्तों को दिया था, वह विधिसम्मत नहीं है.
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उल्लेखनीय है कि प्रार्थी ऑनलाइन एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक अनामिका गौतम (सांसद निशिकांत दुबे की पत्नी) व अन्य की ओर से अलग-अलग याचिका दायर की गयी थी. प्रार्थियों ने उपायुक्त के आदेश व राज्य सरकार के पत्र को चुनाैती देते हुए निरस्त करने का आग्रह किया था. राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में आदेश जारी कर उपायुक्तों को अधिकार दिया था. कहा गया था कि फर्जीवाड़ा कर जमीन की गलत ढंग से रजिस्ट्री की शिकायत मिलने पर जिलों के उपायुक्त सेल डीड को रद्द कर सकेंगे. मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने का भी अधिकार रहेगा.